"श्याम मंत्रा"
"जीवन में आगे बढ़ने के अवसर हमेशा आते हैं बल्कि हर पल हमें आगे बढ़ने का संदेश मिलता ही रहता है, फिर चाहे वो सुख के रूप में आये या दुःख के रूप में। दुःख आता है - ये बताने कि बिना मेहनत किये ये जाने वाला नहीं, इसलिए डटकर मेहनत करो, और सुख आता है - ये बताने कि आगे बढ़ने का यह अनुकूल समय है। अतः हर परिस्थिति में जम के मेहनत कीजिये।"
- डॉ. श्याम 'अनन्त'-
'हायकु'- ''तुमसे, मैं हूँ''
'' तुम पूनम,
का चाँद और, मैं हूँ,
प्यासा चकोर ''
- डॉ. श्याम 'अनन्त'-
"श्याम मंत्रा"
"आप का लक्ष्य सबसे कीमती है, किसी सम्बन्ध से भी ज्यादा कीमती। यदि लक्ष्य और सम्बन्धों में से किसी एक को चुनना हो तो लक्ष्य को चुनिए। लक्ष्य मिल गया तो संभव है कि सम्बन्ध और मजबूत हो जाएं क्योंकि क़ामयाबी को ही दुनिया सलाम करती है लेकिन यदि लक्ष्य नहीं मिला तो सम्बन्ध बचे रहेंगे, ऐसा लगता नहीं। सिर्फ़ लक्ष्य के विषय में सोचिए, बाकी चीजें भविष्य के लिए छोड़ दीजिए।''
- डॉ. श्याम 'अनन्त'-
"श्याम मंत्रा"
"ये दुनिया तभी तक अच्छी है, जब तक आप इसके लिए कुछ कर रहे हैं। आपके जज़्बातों, विचारों, या आदर्शों से किसी को कोई मतलब नहीं। इस बात को यदि आप प्रयोग करके स्वीकार करना चाहते हैं तो बेशक़ कर सकते हैं, लेकिन बेहतर है कि बिना प्रयोग किए ही इस बात को मान लें कि दुनिया की रुचि इस बात में है कि आप उसके लिए क्या कर रहे हैं, ना कि आप क्या कर रहे हैं ? ये दुनिया ऐसी ही है और इसे ऐसी ही स्वीकार कर लीजिए- किसी के लिए कुछ भी करने पर आपको दुःख नहीं होगा।''
- डॉ. श्याम 'अनन्त'-
"श्याम मन्त्रा"
पढ़ाई के लिये आवश्यक है शान्त मस्तिष्क । लेकिन आस-पास के वातावरण के कारण दिमाग़ शान्त नहीं रह पाता । कुछ- न- कुछ द्वन्द्व दिमाग में चलता ही रहता है । पढ़ाई के समय पर तो जैसे दिमाग़ में भावनाओं का ज्वार उमड़ पड़ता है । जाने कहाँ- कहाँ तक के विचार आते हैं और बहा ले जाते हैं और जब समय बीत जाता है तो अफ़सोस होता है । इसके लिए सिर्फ़ एक उपाय है- हर समय दिमाग में ये रखिये कि यदि कामयाब नहीं हुए तो जो है वो भी हाथ से चला जायेगा और कामयाब हो गए तो जो अभी तक भी नामुमकिन लग रहा है, वो भी हासिल हो जाएगा, फिर देखिए मन अपने आप पढ़ाई में लगने लगेगा
- डॉ. श्याम 'अनन्त'-
'हाइकु'- "कैसे बताऊँ"
" कैसे सुनाऊँ,
अनकही दास्तान,
मन में दबी "
- डॉ. श्याम 'अनन्त'
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"श्याम मन्त्रा"
" बड़े लक्ष्य सटीक रणनीति से ही प्राप्त होते हैं । केवल मेहनत करने से ही कुछ नहीं होगा । यदि मेहनत करने से ही सफलता मिलती तो कोई भी नाकामयाब ना होता । बिना रणनीति के मेहनत या तो नाकामयाबी ही देती है या सफ़लता भी देती है तो अपेक्षा या सामर्थ्य से बहुत कम । इसलिए मैं बार- बार कहता हूँ , अपनी रणनीति को लगातार परखते रहिये , और उसमें वक्त के हिसाब से आवश्यक परिवर्तन करते हुए शीघ्र क़ामयाबी पाने का भरपूर प्रयास कीजिए। "
- डॉ. श्याम 'अनन्त'-
" त्रिवेणी"
" झेले हैं पहले ही मैंने दर्द इतने , कि ,
अब किसी नए दर्द से , तकलीफ़ नहीं होती ,
कि खोते- खोते , अब कुछ और खोने का ग़म नहीं होता ''
- डॉ. श्याम 'अनन्त'— % &-
''श्याम त्रिवेणी''
'' याद है, चुराई थी मैंने, एक बार तेरी तस्वीर ,
बस एक वही गुनाह है, होता है जिस पर फ़ख्र,
वरना, तो अपना हर गुनाह, कुबूल है मुझे ''
- डॉ. श्याम 'अनन्त'
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"श्याम त्रिवेणी''
"क्या दूँ , मैं तुम्हें , तुम्हारे प्रेम के बदले ,
जो ख़ुद अकिंचन हो , वो देगा भी क्या ?
बस , अब तक 'अपना' था , अब वो भी नहीं रहा ''
- डॉ. श्याम 'अनन्त'— % &-