शोंखिया अदावत , नखरों से भरी है
ये तसवीर भी कुछ हम सी इतराती है ।
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मै पढूंगी कुरान जब , तुम भी गीता पढ़ दोगे ?
ये दिल विल तुम अपने पास ही रखो , ये बताओ
अपनी अम्मी के कंगन मेरे नाम कर दोगे-
दिमाग खराब था जो , इश्क करने लगी थी एक अनजान से
खैर ठोकर लगी , सपना टूटा लाख लाख बची मै जान से ।-
चांद छिपता है , फूल अपनी खुशबू निसार जाते हैं ,
मेरी जान , हमारी मुस्कुराहट पर अच्छे-अच्छे जान हार जाते है ।-
जिस नजर से
तुझे देखू वो
नजर हो तुम ।
शिकायतों से उलझा
अधर हो तुम ।।
महकते हुए एहसासों
का घर हो तुम।
सुबह का ख्याल
मेरे ख्वाबों में भी ,
रात भर हो तुम।।
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"जान आपको "
पता हैं , मै क्या-क्या
कभी नहीं खोना चाहती
मां की बिंदी , पापा की घड़ी
भाई की दी हुई पायल ,
प्यारी गुड़िया,
पहली डायरी ,
कृष्ण की बांसुरी ,
वो झुमके , कुछ पुराने पन्ने ,
शाम की अदरक वाली चाय ,
बारिश की सौंधी खुशबू ,
छत की तुलसी , मेरे
आसमान का चांद
और इस तहरीर का पहला शब्द !-
लाजमी है मेरा तुझसे प्रेम आ'कारण होना
तुझमें सबसे ख़ास है , तेरा साधारण होना-
कैसी महफ़िल हैं , तेरे इश्क - ए - शहर में ,
हर कोई डूबा बैठा है , गम - ए - जहर में
खेल चलता हैं महोब्बत में सियासत जैसा ,
फिर भी डूबते हैं हर बार हम ही इस लहर में
कामिल हो जान तुम , गलतियां नही होती तुमसे ,
चलो ठीक ! रहते सिर्फ हम है गलतियों के पहर में
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कुछ नहीं है मेरे पास😔, मैं कंगन कहाँ से लाऊँ😒
तू इजाजत देदे🤲, मैं अहसासों से तेरा हो जाऊँ🙇🏼-