लिखने का शौक नहीं है मुझे,
मैं तो बस जज्बात लिखता हूं,
जो पूरे ना कर सका वो ख्वाब लिखता हूं,
हुनर तो पढ़ने वाले की आंखों में होता है जनाब,
जो समझ गए उनके लिए इजहार,
जो ना समझे,
उनके लिए बेकार लिखता हूं।-
मत उछालो उसकी इज्जत भरे बाजार में,
जिसने ठुकराया है तुम्हें प्यार में,
अगर की है मोहब्बत, तो वफा करो,
उसे भूल जाओ और कैद-ए-इश्क से रिहा करो।-
हर शहर,
हर गली,
हर चौक चौराहे पर,
आज बेटी लाचार है,
अब कहां गए वह लोग,
जो कहते थे हम भी चौकीदार हैं।-
अगर कह नहीं सकते,
तो लिख दिया करो,
अपने अनकहे जज्बातों को,
हमारे किस्से और मुलाकातों को,
रिश्तो में पैदा हुई दूरियों को,
अपनी मजबूरियों को।
अगर कह नहीं सकते,
तो लिख दिया करो,
मेरी सारी खामियों को,
मेरी सारी शैतानियों को,
मेरी सारी नादानियों को,
अपनी सारी परेशानियों को।
स्याही से अपने दर्द को,
कोरे कागज पर लिख दिया करो,
अगर कह नहीं सकते,
तो लिख दिया करो।-
मैं कोई शायर नहीं,
ना मुझे लिखने का शौक़ रहा है,
वो क्या है ना,
जिंदगी हमसे खेलती रही,
तो हमने भी शब्दों से खेलना सीख लिया है।-
कहानी वही है, बस किरदार बदल गए हैं,
हैवानियत वही है, बस गुनाहगार बदल गए हैं,
कितना चीखी होगी,
चिल्लाई होगी वो बेचारी,
जब उसके सपनों को कुचल रहे थे वो दुराचारी,
इस घिनौने अपराध के लिए सजा-ए-मौत भी कम है,
उस मासूम के लिए सभी देशवासियों की आंखें नम हैं।
#justice for Manisha-
बचपन में हमने सुनी एक कहानी थी,
एक नौजवान जिसने देश के नाम लिख दी अपनी जवानी थी,
सर पर पगड़ी पहने,
मातृभूमि का वो सपूत,
जिसने गोरो की महफिल में आग लगाई थी,
इंकलाब जिंदाबाद की एक नई चिंगारी जलाई थी,
उसने अकेले ही गोरों की नींद उड़ाई थी,
अंग्रेजी शासन डर गया था,
उस अकेले की देशभक्ति से,
जिसने चुम कर फांसी के फंदे को,
अपनी मौत गले लगाई थी।
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मैं लड़का👨 सीधा-साधा,
तू लड़की🙅 शैतान प्रिये,
होगा अपना जल्द मिलन🤗,
तुम मत होना परेशान प्रिये।-
गलती मेरी थी,
जरूरत नहीं उसे दोषी ठहराने की,
हमने ही उसे आसमां दिखाया,
तभी तो उसने जुर्रत की फड़फड़ाने की।-
हाँ,वो मेरी दीदी है,
वो बिल्कुल मेरी माँ जैसी है,
जो मेरी खातिर सब से लड़ जाती है,
बिना डरे किसी से भी भीड़ जाती है,
जो मेरी गलती सबसे छुपाती है,
मुझे अकेले में समझ आती है,
हाँ,वो मेरी दीदी है,
वो बिल्कुल मेरी माँ जैसी है,
वो मुझे चिढ़ाती है,
हंसाती है,
मेरे लिए कपड़े लाती है,
मुझे दुनिया भर का फैशन समझाती है,
मेरे बिन कहे मेरी हर बात समझ जाती है,
वो मेरी दोस्त है,
मेरी सलाहकार है,
वो मेरे हर मर्ज का इलाज है,
वो कोई और नहीं,
मेरी दीदी है।-