QUOTES ON #SHANKAR_DASS

#shankar_dass quotes

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7 SEP 2020 AT 11:10

मेरे हमसफ़र हाथों में हाथ पकड़कर,
आओ संग चलो प्यार की तरफ़..!!
हसीन जिंदगी के नगमें जहाँ गुनगुनाऐंगे,
चलो ऐसी दिलकश राह की तरफ़..!!
प्यार भरी वादियाँ हो जिन राहों में अपने,
चलो ऐसी महकती वादियों की तरफ़..!!
आशियाना हो जहाँ अपनी मोहब्बत का,
चलो ऐसी खुशनसीब जिंदगी की तरफ़..!!

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11 JUL 2020 AT 12:54

ड़ोर रिश्तों की हो या किसी माला की सजती है प्रेम के मोतीयों से ही,
लगी हो सम्बंधों में स्नेह की मजबूत गाँठ रिश्तों के मोती ठिकते है तभी।

समय के साथ कच्चे होते जाते हैं धागे जान इनमें बची रहती नहींं।
अपनों के रिश्तों के मोती से बनी माला एकजुट होकर रहती नहीं।

रखना सम्भाल के ये अपने पूर्वजों से बनी रिश्तों के मोती की अटुट माला,
प्रेम से रखना आवेश मे आकर तोडना नहीं रिश्तों के ये मोती टुट के बिखरे नहीं।

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1 SEP 2020 AT 11:54

खिलते फूलों के बीच हूँ,
भँवरों के घेरों में फसी,
काँटों के दामन में हूँ,
पर होती नहीं चुभन कभी,
हाँ मैं हूँ वो कच्ची कली,
हैं मजबूरियाँ कमज़ोर सी..

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3 JUL 2020 AT 13:40

न्नहें से पंखों से रोज ऊँची-ऊँची उड़ांने भरता हूँ,
थकता तो हूँ मैं भी पर हौंसला नहीं हारता हूँ।

तिनका-तिनका लाकर आशियाना बनाता हूँ,
मानव के कहर से उसको भी छोड़ जाता हूँ।

भरोसे को मजबूत करकर फिर से घौंसला बनाता हूँ,
मैं एक परिंदा हूँ संघर्ष का हिम्मत से सामना करता हूँ।

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22 JUN 2020 AT 14:47

बंजर सा तपता रहा...
बीज न कोई इसमें पनपा
अंकुरित होने को तरस रहा...
जलती धरती मन मेरा
कण कण धरा का सुख गया
अरसों से न हुई वर्षा यहाँ
कैसे करूं रोपित इसे
हरपल ये सोचता रहा..
जलती धरती मन मेरा ।।

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28 APR 2022 AT 5:54

जीवन के सफर में ए मेरे हमसफर
आखिरी मंजिल तक तू मेरे साथ हो
चले तू कदम से कदम मिलाकर
तेरे ही हाथों में रखा मेरा हाथ हो।

नजारे हशीन होंगे पल-पल के
गर मेरी नजरों में तेरी नजरें हो
हर मंजिल होगी अपने कदमों पर
हौसलों से बड़ाना मेरी हिम्मत को ।

माना जीवन के इस लम्बे सफर में
सुख-दुःख तो रोज आते-जाते रहेंगे
बस इरादे मजबूत रहें हमसफर तेरे
होकर मायुस तू इनसे ना निराश हो।

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7 JUL 2020 AT 11:37

याद रहेगा तबाही का वो मंजर,
बेवफाई का सीने में है तेरा जो खंजर।

मेरी वफ़ा का तूने क्या? खुब सिला दिया है,
करके तबाह मुझे खुदको महफ़ूज़ किया है।

याद है ना तुम्हें जब मेरी ज़िदगी में आयी थी तुम,
अपनी जुल्फ़ो को मेरे चेहरे पर बिखेरती थी तुम।

अपनी जान भी देने को तैयार रहते थे हम,
जबकभी उदास होकर मायुस सी रहती थी तुम।

तुम्हीं ने कहा था एक तुम्हीं हो जो मेरा ख्याल रखते हो,
तुम न होते तो ना जाने कबका मर गये होते हम।

क्या खुब! फरेब था वो तेरा दगा करने का खेल था सारा,
करके बर्बाद हमें अब हमारे बिना ही आबाद हो तुम।

वाह जनाब! कितने प्यार से झुठा वादा करती थी तुम,
आख़िरी साँस तक साथ निभाने की कसमें खाती थी तुम।

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6 JUL 2020 AT 18:12

कैलाशपति हे तीनो लौकों के स्वामी, तेरा रूप बहुत निराला है। जटा में माँ गंगा गले में नागों की माला है। चिताभस्म का श्रृँगार करता ओढे बाघम्बर छाला है। हाथ में पिनाक लिऐ होता डमरू का नाद बडा प्यारा है। नंदी की तू करे सवारी तुझसे मिला भुतों को सहारा है। पंचभुतों का है तू स्वामी शमशान भी तेरा ही बसेरा है। त्रिनेत्र में है दहकती अग्नि इसीमें प्रलयकारी ज्वाला है। कंकर को भी कर दे तू मोती चमत्कार तेरा निराला है। भूतगणों का है तू संगी-साथी देवताओं का प्यारा है। आशुतोष तू है ओघड़दानी अलख आदेश जगाता है। पंचकोशी काशी बनाकर तू काशीविश्वनाथ कहलाता है। उज्जैल का तू महाकाल कालों का काल कहलाता है। शिव-शक्ति का मिलन तुझमे तू अर्धनारीश्वर कहलाता है। मल्लिका है गौरा तू अर्जुन बन मल्लिकार्जुन कहलाता है। राम जी के कहने से सागर तट पर तू रामेश्वर बन जाता है। रूप तेरे अनेकानेक हजारों नामों से पुकारा जाता है। मेरा तो तू ही जीवन आधार तू ही जीने का सहारा है। भोलेबाबा तेरे चरणों में मैनें जीवन समर्पित कर डाला हैं।
जय महाकाल👏🙏👏
आपका तुच्छ भक्त : - शंकरदास

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22 MAR 2022 AT 14:20

अहम को दूर रख मन को शांत कर,
स्वयं पर ध्यान दे आगे बड़ना चाहिए।

दुनिया तो भला-बुरा कहती रहती है,
कहने दो! कोई फर्क नहीं पड़ना चाहिए।

स्वयं को मालुम हो अपनी मंजिल कहां है,
उस पथ पर निरंतर चलते रहना चाहिए।

कितनी ही घनघोर हो गमों की घटा जीवन में,
बनाकर संघर्ष को बादल बरसते रहना चाहिए।

जिस प्रकार अनंत है उन्मुक्त व्योम का छोर,
अपने हौंसलों का छोर भी अनंत होना चाहिए।

खोना-पाना मिलना-बिछड़ना तो लगा रहता है,
आने-जाने से किसीके मायुस नहीं होना चाहिए।

स्वयं की समानता-सहनशीलता-प्रतिष्ठा बनाए रखो,
मानव हो मानवता जीवित रहे ये भुलना नहीं चाहिए।

आड़म्बर मे छिपे मुखड़े अनेकों है इस दुनिया में,
खुशियाँ मिलें देख सबको तुम्हें होना तो ये चाहिए।

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5 SEP 2020 AT 12:26

प्रथम गुरू मेरी "माँ" है, जिसने जना कर मुझे जीने का सार सिखाया..।
द्वितीय गुरू हैं मेरे "पिता", जिसने मुझे सहनशीलता का पाठ पढ़ाया..!!
तृतीय सभी गुरूओं को करूं नमन, जिन्होंने पग-पग पर मुझे अक्षरबोध कराया..।
शिक्षा के मंदिर के पूजारी बनकर, जिन्होंनें मेरे अंतर्मन का शुद्धिकरण कराया..!!
हैं जगतगुरु महादेव की कृपा मुझपर, सांसारिक मोहजाल से मुझे मुक्त कराया..।
बिन गुरू जीवन व्यर्थ है, राम-कृष्ण भगवान ने भी गुरूमहिमा का गुणगान गाया..!!
शत-शत नमन कर इन पतित-पावन गुरूचरणों में, शंकरदास ने हैं शीष नवाया..!!

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