बरसों की यारी है मेरी तुझसे साकी, इस दोस्ती का कुछ तो सिला दे,
मैं भी हूँ और वो बेवफा भी है तेरे मयखाने में, किसी एक के प्याले मे ज़हर मिला दे ।-
फरिश्तों के ज़रिए एक इंसान पला देखा है
मैंने पिता के हाथों में छाले
और माँ का हाथ जला देखा है-
खिलखिलाहट की आवाज़ आती है
उसके आँगन से अब,
सुना है, "मेरे चाँद के घर तारा हुआ है"
کھلکھلاہٹ کی آواز آتی ہے
اسکے آنگن سے اب،
سنا ہے "میرے چاند کے گھر تارا ہوا ہے"-
तू पूछ कभी अकेले में
दिल पढ़ा दूंगा ग़ज़ल की तरह
ग़ैर की मजलिस में दुखड़े सुनाना
तेरे "शान" की शान नहीं है !
تو پوچھ کبھی اکیلے میں
دل پڑھا دونگا غزل کی طرح
غیر کی مجلس میں دکھڑے سنانا
تیرے "شان" کی شان نہیں ہے !-
वो दिल बहला रही थी
मैं प्यार समझ बैठा
रद्दी के टुकड़े को
इतवार का अखबार समझ बैठा-
सहम जाता था एक आवाज़ में बेटा जिसका,
आज उस बाप का सहमा लहज़ा बताता है
"बेटा बड़ा हो गया"
سہم جاتا تھا ایک آواز میں بیٹا جسکا،
آج اس باپ کا سہما لھذا بتاتا ہے
"بیٹا بڑا ہو گیا"-
ना करो कोशिश मुझे सुलझाने की,
मैं काँच का मांझा
और तुम पतंगबाज़ अनाड़ी ठहरे !
نا کرو کوشش مجھے سلجھانے کی
میں کانچ کا ماںجھا
اور تم پتنگباز اناڑی ٹھہرے !-
मैं दिवाली पर दीप तुम्हारा
तुम ईद पर मेरी खीर बन जाना,
मुझे अपना रांझा कर के
तुम मेरी हीर बन जाना ।-
पूरी रात रोई थी शम्मा यह सोच कर
के जिस हवा ने चिंगारी से आग बनाया,
मेरे बुझने में भी उसका ही हाथ था ।
پوری رات رویی تھی شمّ یہ سوچ کر
کے جس ہوا نے چنگاری سے آگ بنایا،
میرے بجھنے میں بھی اس ہی کا ہاتھ تھا !-
खा तो लेता मैं भी पथ्थर उसकी खातिर,
पर मेरी लैला, मजनू ही बदल बैठी !-