वो मेरे चाँदकी चांदनी सी फैली हुई थी रातो में ,
तेरा नशा चढ़ा हुआ था मेरी हर साँसों में,
तेरा ज़िक्र हो रहा था हर बातों में,
दिल मेरा धड़क रहा था तेरी यादों में,
तेरा दीदार हो रहा था तो बस ख़्वाबोमे।
ज़िन्दगी हसीन लग रही थी , तेरी बाहों में।
बस ये समज ना पाया कि ख्वाब मेरा कभी क्यो सच न हुआ।
तेरा मेरा मिलना क्यो तब न हुआ।
अब तो रहा नहीं हक़ मेरा तुझ पर, लेकिन एक मेरा इश्क़ ही है जो कभी कम न हुआ।
बहोत की कोशिशें दिल को यकीन दिलाने की, मगर उसे यकीन अब ना हुआ।
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