मेहनत के बाद भूख की शिद्दत है जिसका नाम! बहुत डूबे मगर गहरे समंदर से निकल आए! हम आखिर सब्र की हद से बहुत बाहर निकल आए! जहां पर खुदनुमायी और तकब्बुर की गिज़ालत थी! खुदा का शुक्र उस रस्ते से हम बचकर निकल आए!!
मेरे अपने फसाने हैं ! मेरी अपनी कहानी है ! जिसमें मैं तो हूँ पर हम नहीं हैं ! और जो ये मैं और हम है वही असल जिंदगी है ! जिसका मैं एक छोटा सा पात्र हूँ !! मैं हम को नहीं चाहता और हम कभी एक हो नहीं सकते ! और ये जिंदगी यूही गुज़र रही है मैं और हम के बीच .........