तुम मुलाकात पर पिज़्ज़ा ऑर्डर मत करना
मुझे तो तेरे हाथ से बनी *चाय* पीनी हैं-
हिज्र के बाद क्या होगा वो देखेंगे
अभी से अश्क बहाना तो नहीं हैं
मेरे बाद मेरा रकीब आना तो हैं
अभी से उसका आना-जाना तो नहीं हैं-
तुम मुझे भूल जाओ कोई बात नहीं
कभी मुसीबत आये तो याद कर लेना
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इश्क़,महोब्बत के गम को
फिजिक्स,केमिस्ट्री,बायो में मिलाकर
सिगरेट के धुंऐ में उड़ा देता हैं
तेरे संग वाले,सारे राज़ दिल में दबाकर
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यूं तन से तो
तुम दूर हो सकते हो
लेकिन मन से दूर होना
इतना आसान थोड़े हैं-
कमबख्त तुम्हारी ये जुल्फ़े बीच में आ जाती हैं
मुझे जी भरकर चेहरा तेरा देखने भी नहीं देती-
'लड़की पटाना' ज्यादा 'मुश्किल' नहीं हैं
ज्यादा 'मुश्किल' है 'सिंगल लड़की' ढूंढ़ना-
महोब्बत करता हूँ,
महोब्बत में मेरे खर्चे हजार होंगे
तेरे शहर में देखना,
मेरी महोब्बत के चर्चे हजार होंगे-
पास था तो तकदीर बन गई
दूर हुआ तो तस्वीर बन गई
यही तो महोब्बत है "संगम"
कोई रांझा कोई हीर बन गई-
वो मुलाक़ात में एक कप चाय बनाती हैं
उसे खुद पीकर मुझे होंठो से पिलाती हैं-