Jo log mandir me,
milke khate hai,
use BHOG kehte hain,
Aur jab log
ek dusre ka khate hain,
use SAMBHOG kehte hain..💋💋-
क्योंकि मन अगर स्थिर रहेगा
तो तन को अच्छे से भोग सकोगे
क्योंकि सारा खेल मन का ही होता है ।
तन को भोगते समय मन अगर चंचल हुआ
तो वहीं स्खलन हो जाएगा ।
इसलिए मन को स्थिर रखते हुए
तन के भोग का आनंद लो और
दोनों एक दूसरे को संतुष्ट और तृप्त कर दो ।-
दरिया खुद भी तृप्त हो जाये इसे मिटाने के बाद,
अपनी प्यास को कभी तू इस काबिल बना।।-
संभोग और सेक्स दोनो अलग है!
सेक्स में किसी एक की इच्छा होती हैं।
जबकि संभोग में दोनो का सहयोग होता है
संभोग को अगर विस्तृत अर्थ में देखा जाए तो
समान भोग होता है अर्थात
दोनो उस आनंद का सामान रूप से भोग करते हैं।
जबकि सेक्स कई बार इच्छा के विपरीत भी होता हैं।
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स्त्री पर चढना सेक्स है
स्त्री में उतरना संभोग है
स्त्री के तन को पाना सेक्स है
तन के रास्ते मन में उतर जाना संभोग है
सेक्स तन की बाहरी आवश्यकता है
संभोग तन की आंतरिक आवश्यकता है
प्रेम मन की आवश्यकता है संभोग प्रेम नहीं हैं
क्योंकि ये एक उम्र तक ही संभव है-
बिना मांगे ही सबकुछ लूटा देते हैं सब इश्क़ में...मोहब्बत करने वाले जिस्म से नहीं रूह से ताल्लुक रखते हैं 🙏
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संभोग में लज्जा का कोई स्थान नहीं होता
खुलकर अपना योगदान दे कर ही
पार्टनर को संतुष्ट कर सकते हैं !...
संभोग को यदि योग समझकर किया जाए,
तो स्त्री का जिस्म और भी निखर जाता है..!!-