QUOTES ON #SAMAD_ALIG

#samad_alig quotes

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28 SEP 2021 AT 23:36

जाँ-निसार-ए-तारीक़-ए-अना कहिए,
कर्ब-ए-अना भी तो कहा था किसीने।

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13 JAN 2022 AT 13:25

अनूठा इश्क़ ए समद

उसने जज़्बात उड़ेला था लफ़्ज़ों में हर्फ दर हरफ।
रोशनाई भी गवाही अश्कों की देती थी घुलकर।
सहमते हुए ख़त लिखा रात में सबसे छिपकर।
कहीं हॉस्टल के किसी साथी की ना पड़ जाए नज़र।
नाम बदलकर इश्क़ की पहली दहलीज़ चढ़ी।
तुम भी शामिल थी जो थी इबारत हमने कढ़ी।
वक्त बीता मुलाक़ात सिर्फ़ दो ही थी हुई।
हमारी मासूम मोहब्बत रही बिल्कुल अनछुई।
फिर वो दिन भी आया जिसका था इंतज़ार।
समद चला मिलने होकर जैसे बहुत बेक़रार।

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21 OCT 2022 AT 9:48

महज़

वो रोज़ हुजरे में आकर महज़ बातें करती है,
वो तन्हाई भी समद आज भी मुझपे मरती है।

उसकी आगोश में ख़ुद को देख मुस्कुराता हूं,
इतना हसीं लम्हा होता कि बस बहक जाता हूं।

बातों में उसकी अजब रसाई सुनाई दे रही है,
ऐसा लगे वो माह रू रु ब रू दिखाई दे रही है।

वो मुख़्लिस मेरी शरीक ए हयात बन आई है,
मगर इस बात में नहीं तनिक भी तो सच्चाई है।

क्या लहू में उसका मेरा किरदार नज़र आता है,
या ये खानदान पानदान सरीखा इक तमाशा है।

दावत-ए-अजल की बात वो मुझे से कर रही है,
क्या अर्श के बुलावे में वो यूं ज़िन्दा मर रही है।

"अख़्तर" पैरों में दुखन उसकी चाह कर रही हैं,
मगर लगे ऐसा कि उंगलियाँ गले से गुज़र रही हैं।

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6 APR 2022 AT 19:56

क्या.....
तेरा इश्तिहार रोज़ छपवा दूं क्या?
आवाम के सीने में खंजर उतार दूं क्या?
फ़सल अच्छी पाली है जला दूं क्या?
बड़े खुश हैं वो उन्हें लड़ा दूं क्या?
आंकड़े दिख रहे हैं सच के छुपा दूं क्या?
उसूलों को नाली में बहा दूं क्या?
ये है मीडिया की गुलामी फैला दूं क्या?
राजनीति और उन्माद फैला दूं क्या?
नौकरी की जगह पत्थर पकड़ा दूं क्या?

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24 MAY 2022 AT 9:56

युद्ध, महामारी से हमको बचाकर रखा है..तो
मुस्कुराओ और शुक्र अदा करो अपने रब का...
(fabia ala i rabbikuma tukadziban)
" Tum apnay rab ki kon kon si naimat ko jhutlao gay?"
"तुम अपने रब की कौन कौन सी नेमत को झुठलाओगे."

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28 JUL 2021 AT 9:49

शुक्रिया दीदी...
मैं लिखता रहा
लोग पढ़ते रहे
नए जुड़ते रहे
पुराने बिछड़ते रहे
मगर लफ़्ज़ चलते रहे
जज़्बात फिसलते रहे
यही है करिश्मा yq का
जब भी लड़खड़ाए
अल्फ़ाज़ से संभलते रहे।

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11 JUN 2021 AT 14:18

इश्क़ के दयार में ताबिश को भरना चाहिए,
सोचता हूं हर फर्द को प्यार करना चाहिए।

ये कि लब कांपे अगर तो दिल धड़कना चाहिए,
तड़प एकतरफा नहीं दोनो को तड़पना चाहिए।

‘समद’ तेरे लफ़्ज़ों का वहां असर जाना चाहिए,
जहां चिलमन न लगे आग उसे जलाना चहिए।

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9 JUL 2021 AT 22:35

मौत...

दर्द, ग़म, सच और उसका वहम,
मौत आएगी सब उड़ा ले जाएगी।

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4 JUN 2021 AT 9:30

समन्दर की लहरों सा उठते हैं यहां अहसास मेरे,
तुम जो हो आगोश में कैसे रोकूं मैं जज़्बात मेरे।

क़िरदार ही बेईमानी पे आसमां छूने लगे इस पल मेरे,
जब पत्थरों सा लहरों का झोंका अरमान भिगो दे मेरे।

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7 JUN 2021 AT 13:48

ख़ुदा सलामत रखे इंसानियत को,
इन्सान ख़ुद क़ातिल बन है बैठा।

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