आवाम इज़हार कैसे करे
जब हाथों में मदिरा दे दी जाए-
Truth became very expensive
27/12/1977
Unnao, Aligarh
आज के दौर में सच बात को
Negative aura कहने वाले
तमाम ढोंगी सत्ता को सहारा
देने के लिए विभिन्न चोलों में
भिन्न भिन्न क्रिया में लिप्त हैं,
इनसे इनकी पैसे की कमाई
छीन लो बस... फिर देखना
इनका positive aura....-
Era of power hungry
and mentally sick
political ideologies
across the globe,
They are puppets of
some business policies
interwoven somewhere
as a hidden agenda...
Remember that....
And they were never
guilty of butchering
people and sucking
bloods of innocent....
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क्योंकर मैं चीखूँ रोऊं सरे आम
मेरी मोहब्बत तो सब्र ही जानती
भटकूँ बेसुध भी क्यों मैं ही भला
जब सच आवाम नहीं यहां मानती
मेरा हर अदबी क़लाम क्यों सुने
वो तो कब्रों की मिट्टी अब छानती
शायद कोई कमी रही होगी सबमें
इसीलिए यहां न आ सकी क्रान्ति
वीरता के किस्से किसे सुनाते हो
हुकूमत जहां घर दिन दहाड़े उड़ाजती
ख़ैर ये भी कोई बदल होगा अमल का
अख़्तर मातृभूमि शायद क़ुर्बानी मांगती-
एक क़ौम भरोसा कर
बेबस गौरैय्या सी तकती
क्रूर और चुप्पी साधी खड़े
पड़ोस के हर फर्द को...
जो न समझे इनके दर्द को-
दुनिया में हर जुल्म का तरदीद है
ख़ुश कितना भी हो जो ख़बीस है
लब पे झूठी कहानियों बेतरतीब हैं
सच्चाई निकल ही आएगी अजीब हैं
फ़लक तो सबके बहुत ही क़रीब है
अख़्तर जो न समझा बेहद ग़रीब है-
Market is vanishing
Money is evaporating
Nero is singing
Enjoy the phase of laughing Buddha-