क्यों एक लफ्ज़ में तेरे चेहरें को महताब लिख दूँ,
इतनी हसीन हैं ये आँखे, इनपे क़िताब लिख दूँ।-
जिसपर शक करना था उसपर विश्वास करता रहा ,
और जिसपर विश्वास करना था उसपर शक करता रहा ।-
जिस्म का तो पर्दा कर लोगे आप हमसे
लेकिन कुशबू पर आपकी केसे पर्दे डालोगे।।-
खाली पेट निकल जाते हैं, बहुत से लोग काम पर क्योंकि जिम्मेदारियां इंसान की भूख मार देती है !
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इन शक भरी निगाहों से तू अब मुझे रिहाई दे दे,
कुसूरवार सिर्फ़ मैं नहीं इस बात की गवाही दे दे।-
बना कर सिलसिला दो दिलों का दिल को यूँ तोड़ जाते हैं,
जो लोग उतरते हैं रूह में, अक्सर वही तन्हा छोड़ जाते हैं।-
समेट लूँ मैं हर लम्हा तेरे इश्क़ में बेदार होने से पहले,
मैं बना लूँ तुझे अपना किस्मत के बेज़ार होने से पहले।-
कर लिया करो मालूम खैरियत ऐ दोस्तों,
जिंदगी हो रही है बसर हादसों के शहर में।-
जिंदा हूँ जरा सा जरा सा मर गई हूँ,
दिल में तेरे धड़कन बन गुज़र गई हूँ।
जिन्हें नज़रों से हटाना गवारा न था,
अर्सा हुआ उस दिल से उतर गई हूँ।
जिसने देख कर मुझे मुँह फेर लिया,
मैं भी उसकी सूरत से मुकर गई हूँ।
अब तो आफत सा लगे है हर लम्हा,
इश्क़ की हूँ या कोई ज़ुर्म कर गई हूँ।-