ये कैसे रिश्ते निभाते है लोग
जो पल भर में ही टूट जाते है
वादे तो करते है साथ का लेकिन
रूठने पर ही साथ छोड़ जाते है
जिसे दिल से चाहते है हम
वही क्यों दिल दुखाते है
जिसके लिए खुशियाँ मिटाते है
वही खून के आँसू रुलाते है
ज़ुबाँ से दुआ तो देते है लोग
दिल से बद्दुआएं देकर जाते है
ये उन्ही लोगों में तो आते है
जो दुख में साथ छोड़ जाते है-
" छाया "
लोग कहते हैं छाया अंधकार में साथ छोड़ देते ,
परंतु अंधेरे में भी छाया मार्गदर्शन है करती ,
वो तो हम उसे समझने की कोशिश नहीं है करते ।
ज्यो ही हम अंधकार की ओर बढ़ाते है कदम ,
आगे खड़ी हो हमें क्षण क्षण अपनी आकार बढ़ा रोके हरदम ,
सुनते नहीं हम उनकी एक , और कर देते है गलती बिना लगाए विवेक हम ।
ज्यो रखे उजाला की ओर कदम ,
पीछे मुड़ छाया की हाल पूछना जरूरी नहीं समझे हम ,
साथ देने के बजाए कोशिश की दूरियां बनाए हरदम हम ।
ज्यो रोशनी चूमने लगना चमन हमारे ,
छुपा दिए उसे अपने कदमों में ,
हर पल साथ दिया था जिसने ।
भावार्थ : छाया - प्रियजनों अंधकार : विफलता रोशनी : सफलता-
अनदेखे धागों में ,
यूँ बाँध गया कोई ।
के वो साथ भी नहीं ।
और हम आज़ाद भी नहीं ।
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हमे नींद नहीं आती तो कोई और वजह होगी,
अब हर ऐब के लिए कसूरवार इश्क़ तो नहीं-
नियत मे खोट हर किसी के है !
जुबान पर बात सबकी एक सी है!
फर्क बस इतना है कोई छुपाता है!
तो कोई बयान करता है!-
धनियां और पुदीना में अंतर स्पष्ट ना करने वाले भी
किसान बिल पे ज्ञान दे रहे है 😪।-
कब तक यूँ ही तुम्हारी इज्जत का खिलवाड़ होगा,
कपड़ों के नाम पर कब तक बलात्कार होगा।
वो बेबस है लाचार है ये कहने वालों के हाथों से
कब तक ये गुनाह बार बार होगा ।-
अक्सर मजबूरी देर रात तक जागना सीखा देती है
और जिम्मेदारियों सुबह जल्दी उठना हमें ।-
तुम्हारे आस पास की मौसम सुहाना लगे ,
चुरा लूं एक शाम? अगर तुम्हे बुरा ना लगे ।
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