सुकून मिल गया क्या??
हैवानियत को राहत तो मिली होगी,
जब फिर से इंसानियत का सिर झुकाया होगा।
वो भी क्या नजारा होगा
जब फिर से एक बेजुबान को शिकार बनाया होगा।
क्या कसूर था उसका ;
जिसने सिर्फ भरोसा किया होगा।
क्या मिजाज होगा उसका,
जिसने उसका दिल दहला दिया होगा।
सुकून तो उसे भी मिला ही होगा
जिसने अपनी बेटी को ही जरिया बनाया था
जीत गया होगा उसका गुरूर
जब फिर से एक औरत को उसने घर में ही रौंदा होगा
क्या खोफ कायम किया उसने
कि फिर से इंसानियत को निशब्द कर दिया जिसने।
संभलने का एक मौका दिया था प्रकृति ने,
अवसर मिला था गलतियों को समजने के लिए।
लेकिन मानवता देखो हमारी डॉक्टरों को भी खून से झकझोर कर दिए,
वाह रॆ कैसे मर्दानगी दिखाई !
कि उस नर्स ने ही शर्म से आंख झुकाई;
ये कैसा अन्याय हुआ कि अब प्रकृति खुद रों अाई!!!
सुकून तो उन्हें मिल ही गया होगा ना,
जिसने हैवानियत को राह दिखाई;
कि प्रकृति अब खुद रों अाई।
-
4 JUN 2020 AT 14:30
4 JUN 2020 AT 12:09
सुना है इंसानों की बस्ती में भगवान
बसते हैं चल बेटा वहां चलते हैं
देख बेटा इंसानों को हमारे दर्द का एहसास है
तभी तो उन्होंने दिया हमें खाने को अनानास है
मां मुझे दर्द हो रहा
लगता है वो फल खराब था
बेटा फल नहीं इंसानों की नियत खराब थी
तेरी मां की गलती की सजा तुझे भी भुगतनी पड़ी
भगवन! क्या खता हुई मुझसे जो तेरे इंसान ने
मेरे साथ साथ मेरे बच्चे को भी मार दिया
बस इतनी सी ना कि मैंने उसे
अपना माना और उस पर विश्वास किया
खता तुझसे नहीं मुझसे हुई है माँ जो
इतने बड़े जानवर को बनाकर खुला छोड़ दिया-
30 NOV 2019 AT 15:17
जानवरों की डॉक्टर थी वो लेकिन
उसे ही नही पता था,सबसे बड़ा
जानवर इन्सान ही होता है I-