"लगता है उड़ जाऊं....
इन आसमानों में पंख लगाकर,
खोल दूं अपने पंखों को,
इस नीले आसमान में।
इतनी तेज़ चीखूं कि उसकी गूंज,
चारों दिशाओं में फैल जाए।
हसूं इतना खुल के,
कि कलियां फूलों में बदल जाएं।
जानना है मुझे फिर से..खुद को एकबार,
जीना है फिर से अपने सपनों को एकबार।
हारने से नहीं डरती,
फिर भी जीतने की चाह रखती हूं।
मैं संघर्ष में पलती जान हूं,
सौ बार गिरने के बाद भी,उठने का हौसला रखती हूं।
सौ बार गिरने के बाद भी,उठने का हौसला रखती हूं।।"
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