" हम ऐसा चराग़ तेरे सीने में
जला जाएँगे,
बुझाते -बुझाते राख हो जाओगें !
हैं , गुमान तुझे तेरे ईमान पे ,
हम ये भी बाज़ार में नीलाम कर जाएँगे !
हो सके तो बदल लें
अपनी हसरतें ,
हम लहरें हैं ,
समंदर के गर्भ में
दफ़्न कर जाएँगे !! "
-
ऐ समंदर ,
अपने अंदर उठती लहरों को ,
बता दों !
मैं किनारे पर हूँ ,
ये बात उन्हें समझा दों !-
" बड़ी फ़िक्र करते हो मेरी ,
कभी जुबाँ पर मेरा नाम ले भी लिया करो !
मत पूछों मेरे बारे में ,
मेरा पैग़ाम ले भी लिया करो !
दिल -ए - अरमान, आरज़ू क्या हैं तुझसे मेरी
छोड़ दो इन्हें ,
कम से कम मेरा हाल ख़बर ही ले लिया करो !! "-
आग लगाना तो कोई उनसे सीखें ' रवि ' ,
वे गुस्से में क्या बोलती हैं ?
शहर का शहर जलकर ,
राख हो जाता हैं ।
- रवि जी-
"भारतीयता ही मेरा धर्म है । यह मेरे तन ,मन और शरीर के रोम-रोम में रचा- बसा है । मै इसका ही श्रद्धापूर्वक पूजा करता हूँ । "
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" इतिहास गवाह है ,
जिन्होंने छल किया अपनी मातृभूमि के साथ ,
उनका बहुत ज़ल्दी कब्र बना है !! "-
" मैं तो शर्मिन्दा हूँ ख़ुद से ,
वो शख़्स जिसे मैंने अनदेखा किया ,
हाँ , वहीं ;
मेरे ख़ुदा का भी ख़ुदा निकला ! "-
" लो आज तुम्हें भी मांग लिया ख़ुदा से ,
कल रात में पूछ रहे थे क्या चाहिए दुआ से ? "-
हर रात मुझे रुला जाती है ,
माँ अक्सर तेरी याद आ जाती है !
ये चाँद , ये सूरज सब आते हैं कुछ पहर के बाद ;
माँ तू क्यों नहीं आ जाती हैं ?-