मैं तो पुरष हूं।
मुझे फर्क नहीं पड़ता।
दिल तो है नहीं।
एक पत्थर है।
जो कभी पिंघलता नहीं।
कभी किसी के आंसू देख कर।
कभी किसी की मुस्कान देख कर।
मुझे तो हक नहीं नाराज होने का।
मुझे हक नहीं खिलखिलाने का।
मुझे हक नहीं आंसू बहाने का।
किसी से कोई demand करने का।
किसी से कोई expect करने का।
अगर बात करू तो flirt करता हूं।
ना बात करू aatitude रखता हूं।
आंसू बहाऊ तो कमजोर।
आंसू ना बहाऊ तो पतथर।
देख कर मुस्कुरा दू तो दिलफेंक।
Ignore करू तो गरुर रखता हूं
किसी को इज्जत दू तो formality।
इज्जत ना दू तो arrogant दिखता हूं।
#अनुराज
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6 MAR 2020 AT 11:20