ये बारिश फिर लौट आती है।
वो लम्हे लौट कर क्यों नहीं आते।
हर तरफ नजर आते हैं मुस्कराते चेहरे।
खुशियों को हम नजर क्यों नहीं आते।
किसी को पल में मिल गई मंजिल।
हमारे रास्ते उधर क्यों नहीं जाते।
करामात होती हैं इसी जहां में।
करिश्में हमारे लिए क्यों नहीं हो जातें।
#अनुराज
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Anurag Bhardwaj
(Insta@unkaahi_kahani)
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Joined 10 November 2017
29 JUN AT 14:42
15 MAY AT 21:33
15 MAY AT 21:31
14 MAY AT 21:41
कभी कभी लगता है।
सिर्फ आंसू ही हैं।
जो हमारा साथ निभाते हैं।
छोड़ जाते हैं जब सारे साथ।
आंसू सबसे पहले बाहर आते हैं।
#अनुराज-
14 MAY AT 21:28
14 MAY AT 21:25
14 MAY AT 21:23
मेरे लिखने के अंदाज से
समझ जाओ तुम।
बहुत गवां चुका हूं
इश्क जताते जताते।
खुद को भूल गया।
उसे समझते समझाते।
#अनुराज-
14 MAY AT 21:18
तुम नहीं समझ पाओगी मुहब्बत मेरी।
तुम्हारा कुछ और हिसाब है।
मै बात करता हूं खामोशी में।
तुम्हे तारीफ की चाह है।
#अनुराज-
14 MAY AT 21:13
प्रेम पर कविताएं नहीं।
ग्रंथ लिखे गए।
कवि लिखता गया।
ना समझ पाया।
मिजाज इसका।
ना कोई गहराई में
उतर पाया।
उलझ कर रह गया
जुल्फों में।
मसलों को कब सुलझा पाया।
तारीफ करता गया।
मुस्कुराहट की।
लबों को कब पढ़ पाया।
डूब गया आंखों में।
दिल में कब उतर पाया।
दिखाता गया ख्वाब।
हक़ीक़त कब समझ पाया।
#अनुराज-
14 MAY AT 21:07