#प्रियामृतावधेश #priyamritaawadhesh
ये
डॉक्टर
ही हैं जो
भगवान रूप
में पूजे जाते
सबका करें उपचार
और बचाते ये जीवन
ये ही निभाते अपना धर्म
आओ अब इनकी मदद करें हम ।
सब छोड़ कर अलग-थलग रहें हम ।
वायरस का इलाज नहीं है
इससे दूरी ही बचाव
संकट जो आया है
इसको टलने दो
धैर्य रखो बस
भय छोड़ो
मानो
ये
अवधेश
26032020
Awadhesh Kumar Saxena-
मेरी मौलिक विधा #प्रियामृतावधेश #priyamritawadhesh में एक कविता #फूल
फूल
मुलायम
शूल कठोर
शूलों से घिरा
हंसता मुस्कुराता
खिलता खिलखिलाता
तितलियों को रस देता
मन मोहक खुश्बू फैलाता
वर माला में पिरोया जाकर
वर से वधु का मधुर मिलन कराता
चरणों में कभी सिर पर चढ़ जाता
देव पूजा की थाली में आकर
जीत पर किसी गले में हो
स्वागत का माध्यम बने
शहीदों की समाधि
या शवों पर चढ़
धन्य मानता
आभार
फूल
#अवधेश #awadhesh
27022020-
मेरी मौलिक विधा #प्रियामृतावधेश में एक रचना
कुल 18 पंक्तियां
पंक्तियों में मात्राएं बढ़ते और घटते क्रम में
2,4,6,8,10,12,14,16,18
18,16,14,12,10,8,6,4,2
पहली और आखिरी 2 मात्राओं वाली पंक्तियां सम तुकांत, 18 मात्राओं वाली पंक्तियां सम तुकांत ।
#तन_पिंजड़ा
जल
जीवन
अग्नि जले
आकाश पले
प्राण वायु बहती
पृथ्वी से मिल चारों
प्रकृति समरूप हो जाते
सुंदर पिंजड़ा बनाते हैं
तन पिंजड़ा आत्मा करती वास ।
खुश रहने का दे रही आभास ।
आज़ाद परिंदा जब होता
पृथ्वी हाड़ वायु सांसें
आकाश ही आस है
अग्नि ऊर्जा बनी
जल जीवन चक्र
पंचभूत
फिर से
चल
अवधेश सक्सेना-26062020
शिवपुरी मध्य प्रदेश-
मेरी मौलिक विधा
ये 180 मात्राओं वाला मात्रिक छंद मैंने अंक शास्त्र, छंद शास्त्र, वास्तु शास्त्र के गहन अध्ययन और शोध उपरांत तैयार किया है, किसी एक क्षणिक विचार, अनुभूति को बढ़ते क्रम और घटते क्रम में जल्दी से लिखने की विधा है, इसके माध्यम से कोई एक संदेश भी दिया जाता है ।
2 मात्राओं वाली पहली और आखिरी पंक्ति, 18 मात्राओं वाली 9 वीं और 10 वीं पंक्ति सम तुकांत होती हैं ।
#priyamritawadhesh #प्रियामृतावधेश
वो
कुत्ता
वफादार
युधिष्ठर संग
पहुँचा स्वर्ग द्वार
इंद्र ने उसे रोका
धर्मराज ने किया मना
कुत्ते को छोड़ स्वर्ग पाना
साथी का साथ कभी मत छोड़ो ।
सरिताओं के प्रवाह को मोड़ो ।
कुत्ता नहीं वो थे यमराज
देख के चोंका सुर राज
सशरीर ही युधिष्ठर
गए स्वर्ग अंदर
धर्म सिखाते
धर्मराज
हम सब
को
अवधेश सक्सेना-31072020
शिवपुरी मध्य प्रदेश
7999841475
-
मेरी मौलिक विधा #प्रियामृतावधेश में एक रचना
9 पंक्तियां 2,4,6,8,10,12,14,16,18 मात्राएं
9 पंक्तियां 18,16,14,12,10,8,6,4,2 मात्राएं
आदि और अंत तुकांत
18 मात्राओं वाली पंक्तियां तुकांत ।
#अपनों_संग
जब
आँखें
खुलीं सुबह
खिड़की में से
सूरज झाँक रहा
मैं रोज जगाता था
आज मुझे वो जगा रहा
नींद बहुत अच्छी आई थी
रात जो गुजरी थी अपनों संग ।
खिलखिलाए झूमे मेरे अंग ।
अपने तो अपने होते हैं
बाकी तो सपने होते
तन मन अच्छा रखने
अपनों से बातें
जरूर करना
मन भरना
तुम भी
अब
अवधेश सक्सेना -12062020
शिवपुरी मध्य प्रदेश
-
#प्रियामृतावधेश #priyamritawadhes
जो
यदि तू
शोर करे
दान दिखावे
का प्रचार करके
दुनिया में अपने को
लाख अच्छा तू कहलाये
राजा हो या धन वाला हो
है ये बात पते की, इसे मान
राम को अर्पण कर जो करे दान
धारण कर धैर्य रखना ध्यान
जीवन में जो मिला तुझे
काम में ले भूल जा
भीतर जरा झांक
प्यासा बन जप
राम नाम
है रब
वो
#अवधेश #awadhesh
02032020
(इसमें कृष्ण का वर्णन भी है, ढूंढो और बताओ )-
मेरी मौलिक विधा प्रियामृतावधेश-सम priyamritawadhesh-sam में 9 लाइन मात्राएं 2,4,6,8,10,12,14,16,18 और 9 लाइन 18,16,14,12,10,8,6,4,2
मैं
सबको
बतलाता
सेवा कर लो
प्रेक्षा ध्यान करो
मन को कर लो वश में
करना जो भी कर्म उनको
रख देना ईश्वर के पद में
तारा ध्रुव जैसी तुम भक्ति करना
सब छोड़ो लोगों से क्यों डरना
बलशाली बनकर दिखलाना
केसर वाला दुग्ध पीना
अंग प्रत्यंग पुष्ट बनाना
दबना कमजोरी
रहना तनकर
प्रभु रहते
भुव पर
हैं ।
(प्रियामृतावधेश-सम विधा की इस कविता में मानव जीवन का मंत्र छुपा है, इसे ढूंढें और अपनाएँ आपने ढूंढ लिया हो तो कमेंट में लिखें )
अवधेश awadhesh
28022020-
मेरी मौलिक विधा #प्रियामृतवधेश #priyamritawadhesh में मेरी कविता ।
9 लाइन 99 मात्राएं 3,5,7,9,11,13,15,17,19 और 9 लाइन 99 मात्राएं 19,17,15,13,11,9,7,5,3
कहो
ये सही
है या गलत
छींक आने पर
भद्रा या चौघड़िया
या बिल्ली रास्ता काटे
तुमको होती है आशंका
मुहूर्त देख करते सभी काम
बनते शिक्षित ज्ञानी पढते विज्ञान
समझो सच ज्ञान दूर करो अज्ञान
परमात्मा को जान लिया अगर
सृष्टि की रचना को जानकर
उसकी प्रकृति और नियम
जब समझ लिए तुमने
अंध विश्वास दूर
भगाओ तुम
मत कहीं
रुको
- #अवधेश #awadhesh
26022020
-