क्या फरक की कौन भला अब तुम्हारे साथ है,
तुम्हे फकत इतना पता है मुझे कहा कुछ याद है,
एक मोड़ पर दो दुकानें और एक घर को छोड़ कर,
क्या अब भी यही है पता तुम्हारा, क्या मुझे कुछ याद है
कितने चेहरे मिलकर मैं कितने चेहरे भूल गया,
मगर जिसे था भुलाना, वहीं क्यू सब कुछ याद है
कल एक श्क्स का चेहरा लगा जाना पहचाना सा,
तसल्ली हुई ये जान कर कि हा मुझे कुछ याद है
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