𝘼𝙜𝙖𝙧 𝙥𝙪𝙧𝙞 𝙙𝙪𝙣𝙞𝙮𝙖 𝙗𝙝𝙞
𝘼𝙖𝙥𝙠𝙖 𝙨𝙖𝙩𝙝 𝙘𝙝𝙤𝙙 𝙙𝙚...
𝙏𝙤 𝙙𝙖𝙧𝙣𝙖 𝙢𝙖𝙖𝙩,
𝘼𝙖𝙥𝙠𝙞 𝙮𝙚 𝙥𝙮𝙖𝙖𝙧𝙞 𝙗𝙚𝙝𝙚𝙣,
𝙃𝙖𝙢𝙚𝙨𝙝𝙖 𝙖𝙖𝙥𝙠𝙚 𝙨𝙖𝙩𝙝 𝙝𝙤𝙜𝙞...-
राहें मुश्किल सी लगने लगी थी,
इरादे भी डगमगाने लगे थें,
मुमकिन भी नामुमकिन सा लगने लगा था,
आशाऐं हर चीज से खत्म होने लगी थी,
खुद पर भी अब विश्वास खोने लगा था,,
न जाने किन अच्छाइयों से मिले हो तुम,
जो हर नई सुबह अपने विचारों से,
मेरे डगमगाते कदमों को संभालते हो तुम,,
बेवजह अपने इरादों को बुजदिल मानने लगी थी जो,
तुम्हारी लेखनी से मुश्किलों में भी मुस्कुराने लगी हैं,,
राहों को बिना चले ही मुश्किल समझने वाली,
अब अकेले ही गिरते पड़ते सब संभाल लेती है,,
अपने कल को भूला,
आज जिदंगी में कुछ नया करने की ठान लेती हैं-
Andar se bechain bahar se sant sa hai
Aj kal mann mera "sushant" sa hai-
जो मोहब्बत थी, वो सिर्फ़ एक सुंदर फ़साना था...
अब भी हमसे उन्हें अपना कुछ काम ही निकलवाना था...
और जब कहा उन्होंने कि दोबारा इश्क़ हुआ है तुमसे प्रांजल,
तो पता चला कि रकीब के लिए हमसे ही शेर लिखवाना था...-
'जीतेंगे हम एक दिन
यूहीं हार हार के यारों
देखना महफ़िल मे शोर एक दिन
मेहनत-ए-अंजाम का होगा'-
राख़ की कई परतो के नीचे तक देखा पर
अफ़सोस वो गुरुर, वो रुतबा, वो पद कहीं नजर नही
आया, जो सारी उम्र ओढ़े बैठे थे...
- मणिकर्णिका घाट --
सुंदरता हो न हो, सादगी होनी चाहिए!
खुशबू हो न हो, महक होनी चाहिए!
रिश्ता हो न हो, बंदगी होनी चाहिए!
मुलाकातें हो न हो, बातें होनी चाहिए!
यूं तो उलझे हैं सभी, अपनी-अपनी उलझनों में…
पर सुलझाने की कोशिश, हमेशा होनी चाहिए.-
"रावण बनना भी कहा आसान था..?
रावण में अहंकार था तो पश्चाताप भी था,
रावण में वासना थी तो संयम भी था"
"रावण में सीता के अपहरण की ताकत थी,
तो बिना सहमति परस्त्री को स्पर्श भी
न करने का संकल्प भी था "
"सीता जीवित मिली तो यह राम की
ही ताकत थी...पर
सीता पवित्र मिली ये रावण की भी मर्यादा थी"
"राम तुम्हारे युग का रावण अच्छा था,
दस के दस चेहरे पर सब बाहर रखता था"
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पानी सिर से गुजर गया प्रांजल, शुक्र है अब तेरे आंसू किसी को दिखाई नहीं देंगे।
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ना जाने कहा गये वो दिन
जहां किसी को कट्टी बोलते ही
उसे अपनी गलती का
अहसास हो जाता था-