कैसे पहचानोगे मेरी आंखों में मोहब्बत का नशा
मैं मोहब्बत और शराब दोनों नशे करता हूं!-
इश्क ने यह मेरा कैसा हाल कर दिया,
पत्थर से दिल को मोम बनाकर
आग के हवाले कर दिया !-
एक उम्मीद का
जो हम तुझसे लगा बैठे हैं
तेरे इज़हार की खातिर
हम जिंदगी दांव पर लगा बैठे हैं !
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वो ठहरी बड़े शहर की....मैं ठहरा देसी सा बंदा
वो तितली सी सुंदर कोमल.. मैं ठहरा भंवरा काला-
यू ना लिखा करो कलम को होठों से लगाकर
तुम्हारी शायरी की मिठास से मैं चींटी बन जाता हूं-
अकेला हूं, खुश हूं ,मौज में रहता हूं
मुसाफिरों हूं यारों ,राहों पर रहता हूं
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मैंने अपने गुस्से को इस तरह शांत किया
चाय बनाते हुए बस उसको याद किया
उसके दांतो को इलायची
और नाक को अदरक समझकर
जो सिलबट्टे पर कूटा है
ऐसा लगा जैसे कैदी कैद से छूटा है !
😜-
कैसे भूल जाऊं तुम्हें,
मेरी कई सालों की मोहब्बत हो तुम
तुम्हें भुलाने में अभी और कई साल लगेंगे !-
तुम लबों की बात करते हो
मैंने उसकी आंखों के सिवा उसको देखा तक नहीं-
लौट कर बेशक आना .....
मगर फिर से मोहब्बत न कर बैठना
मुझे तुझ पर नहीं...अब खुद पर शक है!-