शासन में बैठी ये कैसी सरकार है
जिसके मुँह, आँख और न कान हैं
छात्र दुहाई देते देते थक गए
मगर फिर भी बैठे ये सब अंजान हैं
काग़ज़ों में फरमान सुनाना आपका काम है
ज़मीनी स्तर पर उन्हें लागू करने में आप नाकाम हैं
बखूबी रूबरू है ये हालातों से
मगर परीक्षा कराना इन्हें हर हाल है
कहते फिरते हैं जहाँ में छात्र हमारे देश की शान हैं
फिर भी हैं चले करने को कुर्बान ये छात्रों की जान हैं
इन कुर्सी पर बैठे लोगों से उम्मीद भी क्या करें
इनका न कोई दीन धरम न कोई ईमान है।-
23 AUG 2020 AT 18:06