एक अंजाने से शहर में,
एक छोटे से बस्ती में,
एक सूनसान सड़क से जूडे़,
एक खामोश सी गली में,
एक नन्ही सी कूटीया में बसी,
वो एक प्यारी सी गूडिया,
ख्वाब जिसके बडे़,लेकिन कद उसकी छोटी,
नन्हे से उसके हाथ,लेकिन तलवर उसमें बडी,
आंखे उसकी छोटी,लेकिन सपने उनमें बडे़,
पैर उसके छोटे,लेकिन राहे़ं चलती लंबी,
जबान उसके छोटे,लेकिन उस पर नाम काफी गंभीर,
होठों पर मुस्कान ,चेहरे का शांत स्वभाव,
दिल में ठंडी ज्वाला,जो देती गहरा घाव।
बातों से लगती चंचल है और खेले मुशकि्ल दांव।
खत्म ना हो जो सदियों तक ऐसी यह अनंत कहानी है,
कोई समझ ना पाया इसको अब तक क्योंकि यह कलयूग में आई झांसी कि रानी है।
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