मिज़ाज-ए-मौसम की फितरत है बदलना,
तुम्हें तो एक ही मौसम पसंद था न ......!-
उँगली पकड़ कर चलना सिखाती है....
वो माँ है बिना पूछे सब बताती है,
हर कदम साथ निभाती है ....
ज़िन्दगी जीना कैसे वो सिखाती है ,
हर पल खूबसूरत लगने लगता है ...
जब माँ मेरे संग मुस्कुराती है।-
लोगों संग सफर का मजा हमसे पूछिये ....
किसी अजीज को.. खोने की खता हमसे पूछिये..
कभी-कभी लगता है हम गलतियों का पिटारा लिए घूमते है,
ज़िन्दगी में ..मन की करने की सजा हमसे पूछिये !-
वक़्त सबकुछ सीखा देता है ...
आगे बढ़ने की वजह खुद ही बना देता है...
मुमकिन नही किसी किरदार को खुद से अलग कर पाना,
वो तुम्हे दोहरी ज़िन्दगी जीना सीखा देता है!-
इश्क को मुकम्मल करना चाहता था...
वो मुझे चाहता था,
अपनी इबादतों में आंखे नम रखता था...
वो बस खुदा चाहता था...-
ज़ुल्फ़ खोले_ दुपट्टा लहराती....
वो बहती हवाओं का मज़ा लेती है ,
हर पल को ज़िंदगी कहती है ....
वो इसी तरह हर मौसम को जी लेती है!-
मुझे कहना नही आता......
तुम_ समझना सीख जाओ ना,
वक़्त काफ़ी आगे निकल चुका है...
तुम_ सम्हलना सीख जाओ ना!-
किताबों से भरी एक हसीन दुनियां है मेरी...
कभी फूलों सी रंगीन...
तो कभी कहानियों का किस्सा,
कभी इंद्रधनुष सी कविताएँ....
मानो.. मेरी ज़िंदगी का सबसे खूबसूरत हिस्सा!-
हवा के संग बह चला ...
खुद को पतंग कह चला...
आज़ाद सा लगने लगा है सबकुछ
जब से तेरे संग चला!-