सवालों में सवाल पूछती है.. साथ दोगे न हर बार पूछती है! . . आंखों में उम्मीदों के आस रखती है.. ख्वाबों के पूरे होने की प्यास रखती है! . . मन ही मन न जाने कितने ख्वाब बुनती है.. उसका ज़िद्दी सा मन है मेरी कहाँ सुनती है!
कभी-कभी लोग हमसे बिछड़ जाते हैं... मानो जैसे पेड़ो से पत्ते गिर जाते हैं... हौसला रख ऐ राही ज़िन्दगी के मोड़ पर, राहगीर थोड़ा रुक कर फिर आगे बढ़ जाते हैं...!
शब्दों के फेर में मेरी ज़िन्दगी सिमट रही है.. एक हां के इंतजार को मेरी उम्र घट रही है, डर है.. हांथो से निकल न जाये.. वो सुनहरा कल, मेरी ख्वाहिशें उन लम्हों को तरस रही है..!