QUOTES ON #PERFORMERRISHI

#performerrishi quotes

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21 MAR 2020 AT 4:31

बोहोत जल्दी फैंसले लेने की आदत है तुम्हें,
देखना, ये फैसले कहीं फासला ना बना ले।
अब तक तो करते आये हो, हंसी मज़ाक में जाने की बातें
देखना, यें दिल कही सच में जुदा होने का हौंसला ना बना लें।

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8 JUL 2021 AT 8:10

जिंदगी दर्द के सिवा क्या है?
दर्द बिन जीने का मज़ा क्या है?
गिर के आँखों से ख़ुदकुशी कर ली।
मेरे अश्कों तुम्हें हुआ क्या हैं।

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21 MAR 2020 AT 5:22

बोहोत हँसता हुँ अब,
शायद बोहोत टूट चुका हूं मैं।
किस किस को मनाऊ जा कर,
अब खूद से हीं रूठ चुका हूं मैं।

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12 JAN 2021 AT 9:05

यहाँ कौन दुध का धूला हैं।
कौन कहाँ बहती गंगा में हाथ धोकर आये हैं।
हम सब जानते हैं।

वो जो कर रहे हैं आज कोशिश, हमें बेपर्दा करने की,
अपना दामन किस किस खूंटे पर छोड़कर आये हैं,
हम सब जानते हैं।

हम नादान बनते नही, हम हैं।
क्योंकि हमें अपनों में होशियारी नही आती,
वरना किसके तिलों में कितना तेल हैं।
हम सब जानते हैं।

ओर ये हुकुम का इक्का भी
कब-तक संभालेगा आपकी चाल को,
बनकर जोकर बाज़ी कैसे पलटी जाती हैं।
हम सब जानते हैं।

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16 JAN 2021 AT 12:08

वो सो रहे हैं।
हम रो रहे हैं।
वो मशरूफ हैं अब किसी ओर के जज़्बातों से खेलने में।
ओर हम अब तक उनके दिये इल्ज़ामों को ढो रहें हैं।

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5 JUL 2021 AT 9:31

मेरे इंतज़ार का"दिल-ऐ-बेकरार का"
मेरे हक़ में नतीजा दे जा।
बड़ी बेढंग सी गुज़र है ये ज़िंदगी मेरी।
अह मुनसिफ़, इसे जीने का सलीक़ा दे जा।

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6 NOV 2020 AT 12:39

Me tha ab tak ek gumnaam sa shayar apne shehar ka.
Teri chahat ke reham-o-karam ne ye ऋshi mashoor kar diya...

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3 MAY 2020 AT 12:46

ज़हन में ना था, कि आज रविवार है।
तभी लाज़मी नहीं आज उनका इंतज़ार है।
बंद है आज, शिकवें-शिकायतों ओर मोहब्बत की अदालत।
आज ना किसी की दलीलें ना किसी से कोई सरोकार है।
याद तक नहीं रहता ये "ऋषि" भी उन्हें इस
सुकून-ऐ-मंज़र में,
इस हसीन सुबह में उन्हें, सिर्फ अपनी नींद से प्यार हैं।
ज़हन में ना था कि आज रविवार है...

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6 NOV 2020 AT 12:21

कल रात फिर इक ख़्वाब बरबाद कर आया हूँ।
ख़्यालों में उसका चेहरा फिर से आबाद कर आया हूँ।
बिछड़ गया था जो कभी,
अपने अहम् ओर दौलत-ए-हुस्न के बाज़ार में कही।
कल फिर उसी सौदेबाज़ से इक मुलाकात कर आया हूँ।

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29 MAY 2020 AT 10:19

था यकीन मुझे, कि मैं उसके हर पहलू से वाकिफ हूँ।
नासमझ ने आजतक मुझसे कुछ छिपाया ही नही।
फिर क्यूं छोड़ दिया बीच राह मैं मुझे???
"ये" इक सवाल जो ना आजतक पूछ सका और कभी उसने बताया ही नहीं।
वो सिखाती रही कि बस,"साथ जीना और साथ मरना हैं", नादान ने तन्हा कुछ सिखाया ही नहीं।

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