Rishi Sharma Performer   (Dil Ke Panne - By ऋshi ✍)
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Joined 19 April 2018


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6 NOV 2024 AT 18:31

जिस्म की नुमाइश से अगर
सुकून, साथ और सच्चा प्यार मिलता,
तो सबसे ज्यादा आराम तवायफ़ो के हिस्से में आता।

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16 JAN 2021 AT 12:08

वो सो रहे हैं।
हम रो रहे हैं।
वो मशरूफ हैं अब किसी ओर के जज़्बातों से खेलने में।
ओर हम अब तक उनके दिये इल्ज़ामों को ढो रहें हैं।

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11 NOV 2021 AT 19:26

मैं वो तारा हूं,
जो तेरी खुशियों के लिए सौ बार टूट जाऊं।
बस तू जुदा ना होना कभी,
जिंदगी की इस सुख-दुख की भीड़ में।
खोकर तुझे,
कहीं मैं जिंदगी से ना रूठ जाऊं।

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9 NOV 2021 AT 23:59

देखा एक चेहरा आज बोहोत हँसता हुआ सा।
आँखों में उसकी एक दर्द-ऐ-नूर बरस्ता हुआ सा।
लगाया अलविदा कहते हुऐ जब गले उसे तो हुआ महसूस उसकी हलकी सी धड़कन में। .
जैसे इंतजार ओर प्यार को किसी के बेसब्र होकर तरस्ता हुआ सा...
देखा एक चेहरा आज बोहोत हँसता हुआ सा...

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8 JUL 2021 AT 8:10

जिंदगी दर्द के सिवा क्या है?
दर्द बिन जीने का मज़ा क्या है?
गिर के आँखों से ख़ुदकुशी कर ली।
मेरे अश्कों तुम्हें हुआ क्या हैं।

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7 JUL 2021 AT 11:01

जिंदगी दर्द के सिवा क्या है?
दर्द बिन जीने का मज़ा क्या है?
गिर के आँखों से ख़ुदकुशी कर ली।
मेरे अश्कों तुम्हें हुआ क्या हैं।

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7 JUL 2021 AT 10:32

मूँद लू आँखे गर सो जाऊ,
तो मुझे जगाना मत।
अह ज़िंदगी,
मुझे वापिस अपनी आग़ोश में बुलाना मत।

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6 JUL 2021 AT 9:32

तेरे लिए लिखता हूँ।
तेरे लिए बिकता हूँ।
ज़िंदा हूं तो शायद तेरे लिए,
इसलिए सिर्फ, तुझे ही दिखता हूँ।

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5 JUL 2021 AT 9:31

मेरे इंतज़ार का"दिल-ऐ-बेकरार का"
मेरे हक़ में नतीजा दे जा।
बड़ी बेढंग सी गुज़र है ये ज़िंदगी मेरी।
अह मुनसिफ़, इसे जीने का सलीक़ा दे जा।

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17 MAR 2021 AT 15:05

हुआ हूँ अकेला,
फिर इक बार मैं इस जहान में।
वो हैं सिर्फ ओर सिर्फ मेरा,
बस रह गया मैं इसी गुमान में!!!

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