Rishi Sharma Performer   (Dil Ke Panne - By ऋshi ✍)
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Joined 19 April 2018


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Joined 19 April 2018
11 NOV 2021 AT 19:26

मैं वो तारा हूं,
जो तेरी खुशियों के लिए सौ बार टूट जाऊं।
बस तू जुदा ना होना कभी,
जिंदगी की इस सुख-दुख की भीड़ में।
खोकर तुझे,
कहीं मैं जिंदगी से ना रूठ जाऊं।

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9 NOV 2021 AT 23:59

देखा एक चेहरा आज बोहोत हँसता हुआ सा।
आँखों में उसकी एक दर्द-ऐ-नूर बरस्ता हुआ सा।
लगाया अलविदा कहते हुऐ जब गले उसे तो हुआ महसूस उसकी हलकी सी धड़कन में। .
जैसे इंतजार ओर प्यार को किसी के बेसब्र होकर तरस्ता हुआ सा...
देखा एक चेहरा आज बोहोत हँसता हुआ सा...

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8 JUL 2021 AT 8:10

जिंदगी दर्द के सिवा क्या है?
दर्द बिन जीने का मज़ा क्या है?
गिर के आँखों से ख़ुदकुशी कर ली।
मेरे अश्कों तुम्हें हुआ क्या हैं।

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7 JUL 2021 AT 11:01

जिंदगी दर्द के सिवा क्या है?
दर्द बिन जीने का मज़ा क्या है?
गिर के आँखों से ख़ुदकुशी कर ली।
मेरे अश्कों तुम्हें हुआ क्या हैं।

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7 JUL 2021 AT 10:32

मूँद लू आँखे गर सो जाऊ,
तो मुझे जगाना मत।
अह ज़िंदगी,
मुझे वापिस अपनी आग़ोश में बुलाना मत।

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6 JUL 2021 AT 9:32

तेरे लिए लिखता हूँ।
तेरे लिए बिकता हूँ।
ज़िंदा हूं तो शायद तेरे लिए,
इसलिए सिर्फ, तुझे ही दिखता हूँ।

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5 JUL 2021 AT 9:31

मेरे इंतज़ार का"दिल-ऐ-बेकरार का"
मेरे हक़ में नतीजा दे जा।
बड़ी बेढंग सी गुज़र है ये ज़िंदगी मेरी।
अह मुनसिफ़, इसे जीने का सलीक़ा दे जा।

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17 MAR 2021 AT 15:05

हुआ हूँ अकेला,
फिर इक बार मैं इस जहान में।
वो हैं सिर्फ ओर सिर्फ मेरा,
बस रह गया मैं इसी गुमान में!!!

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14 FEB 2021 AT 9:20

गुलाबों की महक से बहकाने वाले बोहोत मिल जाएंगे आज।
मैंने अपने तस्दीक-ऐं-इश्क मैं उसकी मांग को सिंदूरी बनाया हैं।
इक रात के इश्क के लिए बिस्तर बोहोत मिल जाएंगे आज।
मैंने देकर उम्र, उसके लिए ज़िंदगी की सेज को सजाया है।
गुलाबों की महक से बहकाने वाले....

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8 FEB 2021 AT 0:13

किसी ओर के गुलाबों से महकाने को है,
अब वो आंगन अपना,
विरान करके कुछ इस त्तरह गया
मेरी ज़िंदगी का बागबान।

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