आज फिर एक शाम होगा!
दिल को तभी आराम होगा |
दो-चार मित्र बैठेंगे साथ में ,
और बेहिसाब जाम होगा||
वादे, वफ़ा, प्यार, नफरत,
बातें उसमें तमाम होगा |
जब दो - चार पैग ,
अपने-अपने सनम के नाम होगा||
वो अच्छी थी या बुरी ,
हम अच्छे हैं या बुरे |
हमी से इसका बयान होगा |
जब नीट पैग का अंजाम होगा||
वो चखने भी चटकीले होंगे ,
जिसके बीच राज हमारे ढीले होंगे |
बात-बात पर ताली होगा ,
जैसे-जैसे बोतलें खाली होगा||
कुछ बोतलें सबूत रहेंगे !
कुछ बोतलें फटेंगे |
उस शीशे का हर एक टुकड़ा ,
प्यार को सलाम होगा||
वैसे तो तैयारी पूरी है !
देखते हैं कैसा शाम होगा |
अगर कुछ कमी रह गई इसमें !
तो आगे और भी बेहतर इंतजाम होगा!!
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