भ्रम की चादर ओढ़े
हकीक़त कभी दबती नहीं है।-
7 JAN 2022 AT 15:50
हमें बोलने की जरूरत नहीं पड़ती मेरी जान
दुश्मनों का खून जलाने के लिए ये मुस्कान ही काफी है..-
9 JAN 2022 AT 22:44
आग लगाने वालों को कहाँ ख़बर,,
रुख हवाओं ने बदला तो...,
ख़ाक वो भी होंगे।!!-
3 FEB 2022 AT 14:08
मैं इंतज़ार की कड़वाहट
सरे आम चखूँगा
न आंसू बहेंगे न टूटेगी आस
मैं भीड़ में हो तनहा
बस तेरी राह तकुंगा...— % &-
30 JAN 2022 AT 17:11
“ज़हर की ज़रूरत ही न पड़ी,
उसके हर पल बदलते बर्ताव ने ही हमें मार डाला।”-