तुम क्यों नहीं मिलते मुझे
अजनबियों की तरह....
....क्या तुम्हें पता है मेरे
टूटे हुए दिल का....!!
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आये हो याद तो गुज़ारिश है
यूं दर्द को बहलाया ना करो
ये सुकून नहीं भ्रम है काफी
राख होने दो जलाया ना करो
बिखरा हुआ मैं मिट जाने दो
एहसास बन सजाया न करो
..आये हो याद तो गुज़ारिश है
यूं दर्द को बहलाया ना करो...
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मान लेना या जान लेना
कोई छीन कर ईमान लेना
गर ज़िन्दगी नहीं तिश्नगी नहीं
फिर जीना भी बे-ईमान है न!
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गिरते हैं कभी तो गिरकर
चलना भी होता है
रौशन करना है अंधेरों को तो
जलना भी होता है
ये अलग बात है कि
कभी थम ही जाए सफर
पर जब तक चल रही हो सांसें
आगे बढ़ना ही होता है
गिरते हैं कभी तो गिरकर
......चलना भी होता है
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मुझसे मिलो तो खुद से मिलो
खुद से मिलो तो खुदा मिले
हम यूं मिले की मोहब्बत हो
और चलते रहे यही सिलसिले
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पहली मोहब्बत ही आखरी
होती है मोहब्बत में
उसके बाद तो दुनियादारी
रस्म और रिवाज़ है
वो कल नहीं था कभी
ये कल भी न आयेगा
हम आज में जिंदा तो है
पर खोखले लिहाज़ पे-
ज़िन्दगी है ज़िन्दगी का क्या फसाना हो
अब तेरे बगैर भी शायद कोई जमाना हो
हम मूंद कर आंखों को जी लेंगे चार पल
तब दीवाना था दिल कि अब दिल बहलाना हो-
फिर मिलेंगे कहोगे या इज़ाज़त तुम लोगे
तुम जाते जाते मुझे कोई वजह भी तो दोगे
की इंतज़ार रहेगा फिर उस आखरी सुबह तक
जिसकी शाम बनकर तुम मुझमें ही ढलोगे
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रात के बेरंग उजालों में
खयाल कई टिमटिमाते हैं
जो है नहीं, जो नहीं रहे
इस दिल को बहुत सताते हैं
कभी यादों में है जी उठे
कभी आंसुओं में घुल जाते हैं
जो है नहीं, जो नहीं रहे
तन्हाइयों को आजमाते है
जैसे जिस्म जान से परे
कोई तिलिस्म सा ढूंढे शहर
और गांव की मासूमियत
बड़े अपनेपन से बुलाते हैं
.....रात के बेरंग उजालों में
खयाल कई टिमटिमाते हैं..
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