कोई भी चीज़, जो स्वतंत्र है,
हर बंधी हुई चीज़ से
कई ज़्यादा ख़ूबसूरत है;
धुरी पर घूमते तारों,
ग्रहों, उपग्रहों, आकाशगंगाओं से
भटकती उल्काएँ, नेब्यूला, स्टारडश्ट
कई ज़्यादा ख़ूबसूरत हैं;
तो आज मैंने भी सिरे खोल दिये हैं
अनायास उपजी भावनाओं और अपेक्षाओं के
जो हमसे बस यूँ ही, आ फसे थे|
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