QUOTES ON #NOTSOGIRLYGIRL

#notsogirlygirl quotes

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25 JUL 2019 AT 21:10

खामोशी में भी गजब की आवाज होती है !

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11 MAR 2019 AT 23:18

कभी-कभी लगता है
कोई मेरी चाय हो जाए
कड़क अदरक वाली
जो खुद में घोल ले मेरी सारी
थकान, परेशानियाँ, आक्रोश
जो न जाने कबसे
जमता आ रहा है
कुछ देर चुप रहे
और मेरी सुने
न पूर्वाग्रह से ग्रसित
न ज्ञान देने को आतुर
होंठों से लगे
सीने में उतरे
और अपनी भाप से
पिघला कर पी जाए सबकुछ
जो न जाने कबसे
जमता आ रहा है
मैंने चाय पीना तो छोड़ दिया है
पर कभी-कभी लगता है
कोई मेरी चाय हो जाए

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31 JAN 2019 AT 8:46

When my "not so-girly best friend" puts on some make up..

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10 FEB 2020 AT 15:43

"Run into the rescue with love and peace will follow", he said and walked down the stage; the history smiled, nodded and jotted it down.

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23 FEB 2019 AT 12:53

हर रात की हर बात
वो जो कभी न तुझसे कह सकी
अलावा तेरे, हर आदमी
बस, यूँ ही पढ़ता रहा

तेरे लिए, तुझपर लिखे
तुझ से जुड़े एहसास सब
जिसने पढ़े, शब्दों से मेरे
वो तुझे गढ़ता रहा

ज़ाया ही गये मेरे हर्फ़ जो
तेरी आँखों से गुज़रे ही नहीं
ज़ाया गया तूफ़ान जो
मन ही मन बढ़ता रहा

मेरे इश्क़ की हवाएँ
छू नहीं पाईं तुझे
मारे झिझक के मन मेरा
खुद से ही लड़ता रहा

बहुत दबाया, कुचला
फिर भी नहीं मरा
नाग तेरी चाहतों का
फन काढ़ कर डसता रहा
- उदीषा (फ़्रेजा)

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26 OCT 2022 AT 12:50

पटरियाँ और सड़क आजू-बाजू,
गुमसुम, पड़ी रहती हैं
इंतज़ार में कि कब एक सुंदर घटना घटित हो।
फिर कोई ट्रेन पर सवार, कौतुहल से बाहर को देखे
और कोई साहसा उतर आए उस सड़क पर
ताकि पटरियाँ और सड़क दौड़ सकें, साथ-साथ
बचपन की खिलखिलाती सहेलियों की तरह...

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1 MAR 2021 AT 13:53

यह पलाश के फूलों के जंगल,
शिवनाथ के तट पर बिखरे फैले|
हाथ लिए अनमोल खजाना,
आँख लिए एक नया सपन,
ट्रेन की खिड़की से टकटकी लगाए
जोड़ी गई मेरी वो यादें,
कलम चाँद में डोब-डोब कर,
रात की काली चादर पर
तारों के शब्द उकेरूँगी
बिखरा-बिखरा फैला-फैला
मन मैं आज समेटूँगी|

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7 APR 2020 AT 22:29

हो बिंदु मात्र,
पर देख रहे हो
धरती का कोना-कोना
याद उसे मैं करती हूँ
उस तक पहुँचो तो बतला देना

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15 MAR 2020 AT 17:47

रात की ख़ामोशी में
ख़याल तैरते हैं
उन्हें शब्दों के काँटों से पकड़कर
ड्रामा का नींबू-मिर्च लगाकर
फीलिंग्स की ठंडी आँच में पकाकर
परोसती हूँ आपकी सोशल तश्तरी पर
नोश फ़रमाइये न!
अरे, रुक क्यों गए, खाइये न!

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31 DEC 2019 AT 17:04

कोई भी चीज़, जो स्वतंत्र है,
हर बंधी हुई चीज़ से
कई ज़्यादा ख़ूबसूरत है;
धुरी पर घूमते तारों,
ग्रहों, उपग्रहों, आकाशगंगाओं से
भटकती उल्काएँ, नेब्यूला, स्टारडश्ट
कई ज़्यादा ख़ूबसूरत हैं;
तो आज मैंने भी सिरे खोल दिये हैं
अनायास उपजी भावनाओं और अपेक्षाओं के
जो हमसे बस यूँ ही, आ फसे थे|

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