अब तेरी याद भी बाकी नहीं
दिल में कोई फरियाद भी बाकी नहीं
हसीन थे लम्हें अंधकार सी रातों में तेरे साथ
अब उजालों में भी वो बात बाकी नहीं
दिल में है बातें अनेक , पर लब मेरे ख़ामोश हैं
तुझसे कहने को मेरे पास अल्फ़ाज़ भी बाकी नहीं
तेरी हर एक तस्वीर आंखों में संजोए बैठा हूं ,
पर अब उनमें वो चकाचौंध हीं बाकी नहीं
खोने को कुछ नहीं बचा मेरे पास
और अब पाने को मंज़िल भी बाकी नहीं ।
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