साहिबा...
ठंडी वादियों के मुसाफिरों के लिए हवा सर्द क्या...
और आदत हो जिन्हें टूटने की उनके लिए दर्द क्या...-
तेरे दिल, जहन, दिमाग,
तेरे जिस्म के जर्रे जर्रे
का बस एक हो काम..
तेरे ख्वाब, ख्याल, यादों
तेरी जिंदगी के हर एक पन्ने
में हो बस मेरा नाम....-
हसरत किसी और की कैसे करे सनम
मसरूफ तेरे ख्यालो से पहले बाहर तो निकले हम-
एक हसरत है मेरे दिल मे मेरा एक काम कर दे
बस एक मोहब्बत भरी शाम मेरे नाम कर दे-
दिल्लगी अच्छी नहीं जनाब,
ईन दुनिया वालों से
यहा लोग आशियाना देख कर
अफ़साना लिखा करते है-
फिर आँखों मे बरसात आए
अच्छे बुरे सभी लम्हें आँखों के पास आए
जब पुराने दोस्त याद आए
NITESH
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अच्छी खासी जिंदगी का अजीब तराना हो गया
कल तलक हज़ारों लोग थे मेरे आस पास
आईनों से बाते करना अब बहाना हो गया-
हर बार जिंदगी ने हमारे साथ कमाल किया...
प्यार भी बेहद मिला और दर्द भी बेशुमार दिया...-
मुझे तू यू ना सजा दे...
बगीचा सूखा है,मेरे इश्क का..
थोड़ा इश्क बरसा दे...-