QUOTES ON #NGODIYAL

#ngodiyal quotes

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16 JUL 2020 AT 14:08

उसके दर पे तुम गर शिद्दत से सर झुका लो,
तो फिर किसी दर पे तेरा सर नहीं झुकेगा।
मुश्किलें तो लाजमी है, तेरी राहें डगर में,
उसकी महर हो, तो फिर सफ़र नहीं रुकेगा।

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28 AUG 2020 AT 10:14

खुद से खोई हुई तेरी वो पहचान लौटाने आया हूं,
कुछ भूल गए हो तुम, वो याद दिलाने आया हूं।
नारी शक्ति का संचार है, प्यार की धार है।
जननी हो तुम, तुझसे ही सारा संसार है।

#full piece in caption #👇

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9 AUG 2020 AT 16:34

मैं सिर्फ लिखने के लिए नहीं लिखता
कलम से बदलाव लाने के लिए लिखता हूं।
इस जिस्मफरोशी और हवस की दुनिया को,
प्यार के असली पड़ाव समझाने के लिए लिखता हूं।
मुझे गलत ना बर्दाश्त था ना कभी होगा,
मैं भटके को सही राह दिखाने के लिए लिखता हूं।
किताबों में कैद मत रखना मेरे अल्फाजो को,
मैं हर बात नए जमाने के लिए लिखता हूं।
वो मेरी कलम का सौदा करने चले हैं,
मैं खिलाफ उन कत्लखाने के लिए लिखता हूं।
कभी जो बुझ गया, तो फिर एक नई सोच जन्म लेगी
मैं समाज की ओछी सोच हटाने के लिए लिखता हूं।
जो लूट रहे हैं वतन को मेरे, दीमक की तरह,
उन्हें जड़ से मिटाने के लिए लिखता हूं।
मैं लिखता हूं उसके लिए जो मिट्टी की शान है,
मैं आजादी के उस दीवाने के लिए लिखता हूं।

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17 AUG 2020 AT 8:14

तुम्हारी नजरो की शरारतें, तमाम बातें क्यूं कर रही है।
हमारी गलियों से होके, नजर तुम्हारी जो गुजर रही है।

नागवार है मुझको तेरा, नजर मिलाके नजर चुराना,
यह ऐसा है सांस लेने से जैसे जिंदगी मुकर रही है।

क्यूं गिराती हो बिजलियां तुम, क्यूं तड़पा रही हो,
मेरे गालों पे गिरती जुल्फें, वो शोख अदाएं कहर रही है।

गुलाब से होंठ खुले तो, हर शब्द रूहानी सा हो गया है,
वो जो छुले अघ्रो को मेरे, फिर कातिलाना जहर रही है।

मेरी मोहब्बत का हिसाब, लगाना मेरी जान है मुश्किल,
चंद लम्हों की मुलाकाते, फिर यादें चारो पहर रही है।

तुझे पाने की चाह में मैंने, क्या क्या दांव नहीं लगाया,
तुम जानते हो, प्रेम में अपने, बड़ी पथरीली डगर रही है।

हम जल रहें है और आहिस्ता आहिस्ता देखो पिघल रहें हैं,
हमें शमा जलानी नहीं थी,की अपनी चोखट मोमघर रही है।

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13 JUL 2020 AT 19:24

जिसका खुद का अपना आसमां नहीं हुआ,
उस टूटे तारे से लोग अपनी मुरादे मांगते हैं।

जो चांद खुद सूरज का मोहताज है रोशनी के लिए,
उस चांद से, अपने चांद की खुद्दारी के वायदे मांगते हैं।

कुछ मुफलिसी में है, फिर भी जिंदगी काट लेते हैं,
इक हल्की सी टीस में, मौत यहां अमीर जादे मांगते है

जो बहारें खिजां के सामने नतमस्तक हो बैठी,
उन बहारों से, लड़ने को मजबूत इरादे मांगते हैं।

जिसने दंडित करना था, वो पट्टी से बंधी हैं,
और मजलूम उससे न्याय की यहां मियादे मांगते हैं।

जो बेच खाए, आंखों की शर्मोहय्या तबीयत से,
वो भी शरीर ढकने को मखमली लबादे मांगते हैं।

जिन्होंने वहशी बन बुझा दिए कई चिराग बस्ती के,
वो अपने घरों के लिए, दुआ में औलादे मांगते हैं।

यह सोच कर, गैरत से मरा जाता है "नवीन"
जो साश्वत था, उस प्रेम में अब लोग सौगातें मांगते हैं।

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13 AUG 2020 AT 9:59

मुफलिसी में, जिसके सिर पे टांट थी,
वो बारिश की सुन, खबर सहम उठा।

मूसलाधार बारिश से, नदी आई उफान पर,
देख बाढ़ का रौद्र रूप, समंदर सहम उठा।

जाने क्यूं नहीं जगाती हमें, चीखती आवाजें,
बच्ची को निर्वस्त्र देखकर, पत्थर सहम उठा।

धर्म की लड़ाइयों में, खुश था जो इतना,
अपनो की लाशें देख, वो कट्टर सहम उठा।

फितरत इंसान की देख, वक़्त शोक में है,
इतना बदलते देख उसे, अवसर सहम उठा।

शोलो को दामन में लिए, जो कर रहे थे गुमा,
जलता देख अपना उसमें, वो घर सहम उठा।

उंस ना हुई उस दरिंदे को, मां मारते हुए
मां का दिल काटता वो, नश्तर सहम उठा।

अब और क्या क्या दिखाएगा कलयुग बता मुझे,
की देखता "नवीन" यह, खोफ ए मंजर सहम उठा।

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14 AUG 2020 AT 10:14

है बस दुआ यह, उनसे मेरी नजर मिले,
उसके पाक दर से जाके, मेरा दर मिले।
है बस दुआ यह..............
जरा शाम से कहना, गुमनाम ही रहे,
होंठो पे उसके सजता, मेरा नाम ही रहे।
मोहब्ब्त के चर्चे, वो मशहूर हो चले,
हम बेकसूर फिर देखो, बदनाम ही रहे।
है बस दुआ यह, .................
संभालो यार हमको, हरशू वो छा रहा है,
सितम ढाने की महफिल देखो जमा रहा है।
जिसकी देह को, मालिक बना के हैरान,
कयामत को देखो, कयामत दिखा रहा है।
है बस दुआ यह...................
आजमाएंगे किस्मत, सुन ओ मेरे कातिल,
दिल में घर कर गया है, तेरे होंठो का तिल।
बस इलतेजा है मेरी, दिल की देहरी में इतनी,
अपनी जिंदगी में, ताउम्र कर ले मुझे शामिल।
है बस दुआ यह....................
उसकी जुल्फों के साए, हम पर पड़ रहे हैं,
इश्क़ में देखो, हम गिरकर सम्भल रहे हैं।
वो चासनी सी घोलती, उसकी हसीन बातें,
वो ही नहीं, इस आग में हम भी जल रहें हैं।
है बस दुआ यह…................
सबको अजीज वो है, क्या हमपर इनायत होगी
क्या इस राहे सफर में, वो मेरी कायनात होगी।
यूं तो मिली है खुशियां, जमाने भर की ए खुदा,
पर ना मिली, तो दिल को तुझसे शिकायत होगी।
है बस दुआ यही की मुझे, उसके चारो पहर मिले।
मेरी जिंदगी की काली रातों को अब तो सहर मिले।

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30 JUL 2020 AT 19:36

झूठ बुरा साया है, पर आज का सच घिनौना है,
झूठ से ज्यादा, लोगो की सच्चाई से डर लगता है।

बुरा दिख जाता है, उससे बचा लोगे खुद को,
मुझे किसी की हद से ज्यादा अच्छाई से डर लगता है।

पहले रात को घूमती थी, चौराहों पे शैतानी फितरते,
अब उजालों में दिखती उनकी परछाई से डर लगता है।

कभी चुनते थे उन्हें, की हमें मेहफूज रखेंगे,
अब वो ही गुंडे हैं, उनकी रहनुमाई से डर लगता है।

कहीं बरसा नहीं, कहीं बरसा तो बाढ़ बन बैठा,
मजलूम किसान को बादल हरजाई से डर लगता है।

जब देखता हूं, भूख से तो कभी धमाकों से मरते बच्चे,
सच पूछिए मुझे मेरे खुदा की खुदाई से डर लगता है।

वक़्त भी सुना, अब रसूखदारों का हो चला,
वो गवाह है पर मुझे उसकी गवाही से डर लगता है।

मैं जब भी हंसा हूं, बहुत बड़ी क़ीमत चुकाई है मैंने,
मुझे जिंदगी की बेगैरत सी बेवफाई से डर लगता है।

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18 AUG 2020 AT 17:58

दर्द से मुलाक़ात हुई, वो बड़ा मायूस था,
दर्द दर्द में डूबा था, मेरा मन बड़ा खुश था।

गुफ्तगू दर्द के साथ, नीचे कैप्शन में👇
पढ़ के बताइएगा कैसा लगा

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10 JUL 2020 AT 19:42

अच्छा लगा, जो याद दिलाया गुज़रा ज़माना
कुछ मुझे याद करना, कुछ मुझे याद दिलाना।
वो मेरी उंगलियों का तेरी उंगलियों में उलझना,
तेरी उलझी जुल्फों में, अरमानों का सुलझना,
हर्फ दर हर्फ तेरी पीठ पर हाथों से दिल बनाना,
गरम सांसों में, अपने एहसासों का सुलगना।
वो रुखसार पर तेरे मेरे इश्क़ की लाली थी,
गुलाब सरीखे अधरॊ से, मेरे अधरॊ को मिलाना।
अच्छा लगा जो याद दिलाया..................
बारिश के मौसम में भी हम जल जल रहे थे,
अरमान दिल के हद से ज्यादा मचल रहे थे।
तेरा भीगता बदन तुझे उर्वशी बना रहा था,
हम दिल को थाम जाने कैसे सम्भल रहे थे।
मेरे अक्स में छपा है, टूट कर बिखर जाना,
मेरी जीत बनकर तेरा यों खुद को हार जाना।
अच्छा लगा, जो याद दिलाया..................
अब भी उस कसक को में पास रखता हूं,
सीराहने तेरी यादों के, लिहाफ रखता हूं।
बेचैनियों का मुझसे आलम ना पुछ मेरी जां,
तेरे बगैर, दर्द में डूबे, अपने ख्वाब रखता हूं।
टकराएं कभी तो, जरा सा बस मुस्कुरा देना,
ना नज़रें तुम झुकाना, ना नज़रें तुम चुराना।
अच्छा लगा, जो याद दिलाया...................

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