मैं से मुझे बचाना, इसने रावण को नहीं बख्शा
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जंगलों की ख्वाबगाह, पहाड़ का घमंड हूं।
प्यार से मिलिए... read more
थका ले आ ज़िंदगी जी भर के मुझे,
मौत आएगी तो सुकूं से सोऊंगा बहुत।-
हमें दर्द के सिवा भी बहुत कुछ मिला था इश्क में,
ये बात और है, हमने दर्द को दिल से लगा लिया।-
मुश्किलों पे आग लगानी है,
चिंगारियों ने ठान ली तो ठान ली।
हर कठिन चुनौती बचकानी है,
तैयारियों ने ठान ली तो ठान ली।-
मुझसे मिलकर भी हद में रहती है वो।
फिर कैसे मान लूं उसे इश्क बेइंतहां है।-
मेरे बारे में इतना सोच कर तुम परेशान न हो।
तकदीर लिखने वाले ने मेरे बारे में कुछ सोचा ही नहीं।
कुछ आढ़ी तिरछी सी रेखाएं खींच दी और कहा,
जी लेना गर इन ठुकराए रास्तों में जी सको तो।-
मुझे पूजा मत दो की तुम इस काबिल नहीं।
मैं तो साफ मन का हूं मैं कोई कातिल नहीं।
वो भी तुम में से ही था, ध्याता था मुझको।
बेटियों को पूज कर घर बुलाता था मुझको।
क्या नहीं दिया हर सुख से मालामाल किया।
मेरी ही पुत्री का फिर कैसा उसने हाल किया।
क्यों ढकोसलों में फिर मुझको खींच लाते हो।
मेरी प्रतिमा के आगे झूठा शीश झुकाते हो।
मैं पत्थर इसलिए की तुमने मान नहीं माना।
मन के दर्पण में नारी का सम्मान नहीं माना।
पाप, हवस, क्रूरता से व्यभिचार तुमने पाले है।
अपने भी डसते उसको सांप आस्तीन वाले हैं।
तू शरीफ है तो बता क्या आग लगा सकता है।
बेटी की खोई इज्जत वापिस दिला सकता है।
गर नहीं कर सकता तो फिर तू भी तो दोषी है।
चुप रहने वाला भी तो कातिलों का हितैषी है।
पूजने आना हो तो मन क्रम वचन समान हो।
तुझे महाभारत के उन नियमों का ज्ञान हो।
जिसमे कान्हा बनके चीर बढ़ाया जाता है।
बन भीम जरासंध को मार गिराया जाता है।
सुन गर संभव नहीं तो धरा छोड़ जाऊंगी।
लाख बुलावे भेजना बेटा तेरे घर न आऊंगी।
लाख बुलावे भेजना................😢-