सुकून मिल गया क्या??
हैवानियत को राहत तो मिली होगी,
जब फिर से इंसानियत का सिर झुकाया होगा।
वो भी क्या नजारा होगा
जब फिर से एक बेजुबान को शिकार बनाया होगा।
क्या कसूर था उसका ;
जिसने सिर्फ भरोसा किया होगा।
क्या मिजाज होगा उसका,
जिसने उसका दिल दहला दिया होगा।
सुकून तो उसे भी मिला ही होगा
जिसने अपनी बेटी को ही जरिया बनाया था
जीत गया होगा उसका गुरूर
जब फिर से एक औरत को उसने घर में ही रौंदा होगा
क्या खोफ कायम किया उसने
कि फिर से इंसानियत को निशब्द कर दिया जिसने।
संभलने का एक मौका दिया था प्रकृति ने,
अवसर मिला था गलतियों को समजने के लिए।
लेकिन मानवता देखो हमारी डॉक्टरों को भी खून से झकझोर कर दिए,
वाह रॆ कैसे मर्दानगी दिखाई !
कि उस नर्स ने ही शर्म से आंख झुकाई;
ये कैसा अन्याय हुआ कि अब प्रकृति खुद रों अाई!!!
सुकून तो उन्हें मिल ही गया होगा ना,
जिसने हैवानियत को राह दिखाई;
कि प्रकृति अब खुद रों अाई।
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In the era, where people desperately wanna be cool,
Day by day, why are you becoming an emotional Fool!?
Aren't enough for you this melodrama, tricks and traps;
Then, why are you not trying to overcome from all this heartbreaks.
You look so calm and Passionate!
have you got the answers of your questions?;
Or You learned, how to smile in this attention seeker World!.-
दिखावे की दुनिया है साहब!
यह तो सिर्फ दिखावा ही चलता है।
मां का ख़्याल हो या पिताजी का ख़्वाब,
बस सब कुछ दुनिया को दिखाने के लिए ही करता है।
अब तो सादगी भी दिखावे की हो गई है,
और तुम प्यार, इज्जत, आत्मसम्मान ढूंढने निकले हों!
थोड़ा जागो, ठहरो, और समझो -
"ये दिखावे की दुनिया है साहब!
अब तो लोग घर भी सिर्फ दिखावे के लिए जाते है।"-
राहों पर साथ कैसे चलेंगे, जब निगाहें ही साथ नही देगी!
दीदार मुक्कमल नहीं हो पाएगा, गर ख़ामोशी की दीवार खड़ी होगी।।-
वो 'यकीन' ही क्या, जहां नजरों की नहीं;
लफ्जों की एहमियत बतायी जाये।
ओर वो 'मुस्कुराहट'भी क्या;
जो आंखों के अश्क को ना छुपा पाये।।..-
अब जो जा चुका है, उसके लिए याद आ गयी अच्छी बातें;
लेकीन जो तुम्हारे पास है, उससे फिर भी रहती लाखों शिकायते!
जो अब भी इंतजार कर रहे है, उनसे कर लो ना दो मीठी बाते;
मिटा दो सारी दुरिया, कर लो बिना झिझक मुलाकाते।
सभी को क्यों अपने बनाये पैमानों पर दुनिया तौलती है!?
क्यों आबाद नही हो सकती, मेरी भी कुछ फरियादे...
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जो सपने टूट गये, उनके इरादे पक्के कैसे!?
जिन्हें जरूरत में बुलाना पड़े, आखिर वो फिर अपने कैसे?-
गर आंखे सब कुछ कह ही देती है,
तो लफ्जों में सफाई क्यों देनी होती है!?
जब बिन कहे जज्बातों को समझा ही नहीं जाता;
तो बुरे हालातों में साथ खड़े होने का दावा क्यों किया जाता है..?-
She can fly, whenever she wants to,
She can cook, whenever she wants to,
She may rude, whenever she wants to,
She can scenic, whenever she wants to,
She may act as dumb, whenever she wants to,
She can be whatever, whenever she wants to.
So don't you even think, that you can make her cry;
Whenever you want to...-