QUOTES ON #NEELISYAHI

#neelisyahi quotes

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30 JUN 2021 AT 9:28

ज़िंदगी की धूपछाँव में, पकने लगा हूँ मैं;
शायद अब समझदार, लगने लगा हूँ मैं।
चेहरे पर झुर्रियाँ से, घिरने लगा हूँ मैं;
चेहरे पर मुस्कान लिए, फिरने लगा हूँ मैं॥

हक़ीक़त के पन्नों को, गढ़ने लगा हूँ मैं;
तोहमतों से आगे, बढ़ने लगा हूँ मैं।
लहजे कड़वाहट के, पढ़ने लगा हूँ मैं;
उम्र की दहलीज़ पर, चढ़ने लगा हूँ मैं॥

ज़माने की धारा में अब, बहने लगा हूँ मैं;
ख़ुद को समझदार अब, कहने लगा हूँ मैं ॥

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5 JUL 2021 AT 16:40

था एक हिन्दुस्तानी राजा रंगीला,
देश में जिसे था सबसे प्यार मिला;
अचानक एक सुबह नींद से जागा,
बोला देश में है असहिष्णुता फैला;
डरने लगी है बेगम और बच्चे,
कहते हैं लोग यहाँ के नहीं अच्छे;
चलते हैं अब किसी और देश,
नहीं पसंद यहाँ का भाषा-भेष।

बदला समय और बदली घड़ियाँ,
वैवाहिक जीवन की उड़ी फूलझड़ियां;
नहीं समझा जो लोगों का प्यार,
बिखर गया एक दिन घर-बार;
नहीं की जन-प्रेम की परवाह,
टूटा एक दिन बेगम से भी निकाह;
अब है दोनों में रिश्ता रखने का वादा,
ख़ुदा ही जाने क्या है इरादा॥

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21 OCT 2020 AT 11:28

ये कैसा मुक़द्दर हम बनाते हैं
बचपन खो कर जवानी सजाते हैं...

कहीं उमंग है दौलत का
तो किसी के सेहरे पर है शोहरत...

ये कैसी ज़िंदगी हम बनाते हैं
जवानी के उत्साह में बचपन खो जाते हैं...

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13 OCT 2020 AT 10:54

हार ना मानने का उल्लास हो
जैसे पानी की मिठास का अंदाज़ा तभी होता है
जब उम्र भर की प्यास हो

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26 JAN 2021 AT 1:33

नाज़ है मुझको वतन पर, और है अभिमान भी;
तीन रंगों का अलम, है तिरंगा मेरी शान भी;

जीना है जिसकी ख़ातिर, मिलना है उसी ख़ाक में;
हूँ बशर इसी देश का, है तिरंगा मेरी पहचान भी;

उठी है जब-जब आँखे, मेरे देश की अखण्डता पर;
शान में तिरंगे की हाज़िर, है जान मेरी कुर्बान भी;

है लोकतंत्र जिसकी रगों में, कश्मीर से कन्याकुमारी तक;
विश्व के विभिन्न पटलों पर, है तिरंगे का गुणगान भी;

पहले चाँद फ़िर मंगल, लहरा रहा विजयी पताका;
तकनीक की राह पर दौड़ रहा, है देश मेरा हिन्दुस्तान भी;

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3 DEC 2020 AT 10:26

समय रुकता नहीं ज़िंदगी ठहर जाने से
कहाँ किसी ने रोका है किस्मत आज़माने से,

छोड़ भी दो करना अब अतीत का पीछा
महज़ अनुभव हाथ आता है पीछे लौट जाने से,

नए सफ़र की करो जल्द करो तैयारी
मयस्सर वक़्त नहीं आता यूँ ठहर जाने से,

मिल जाएगी मंज़िल ज़रूर एक दिन
होंगी दूरियाँ कम, पग पग चलते जाने से।
©नीली स्याही

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27 NOV 2020 AT 12:30

नए रास्तों के नए पग-चिन्ह हैं


नया जोश और नई उमंग है
नई राहों में सब मुमकिन है,

उठो मुसाफ़िर भोर हुई अब
नया सवेरा नहीं ग़मगीन है,

लेकर बस्ता शुरू सफ़र कर
डगर सफलता का नहीं कठिन है ॥
©नीली स्याही ✍️

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27 SEP 2020 AT 20:49

फिर से तलाशने लगते हैं...
ये मेरा इश्क है या उनकी कशिश
दिल के अरमाँ मचल जाते हैं...

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14 OCT 2020 AT 0:01


हो दीदार की फ़िर से दरकार...

शायद पहली नज़र में ही जैसे
होने गये हो नैना चार...

हुआ जो मुकम्मल इश्क़ हमारा
कर ना सके फ़िर हम इंतज़ार...

बातें बढ़ी, कुछ मुलाकातें बढ़ी
और संग बसा लिया घर संसार...

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27 JUN 2021 AT 22:26


ख़यालों में भी मुलाकात थी।
जज़्बातों में मिठास घुली,
अल्फाज़ों में भी जज़्बात थी।

तुमसे मिलने से पहले
ज़िंदगी भी एक सवालात थी।
चर्चा तुम्हारी क्या करे "स्याही",
तुममें ही मेरी कायनात थी।

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