Neeli Syahi   (नीली स्याही)
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Coder | Designer | Writer | Architect
Joined 5 September 2020


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Joined 5 September 2020
15 AUG AT 8:16

नमन करें उस धरती को, जहाँ की मिट्टी सोना है,
गाती हैं जहाँ की नदियाँ, सुशोभित कोना-कोना है।

पर्वतों की ऊँचाई में, गूँजती है वीरों की गाथा,
देती खेतों की हरियाली, कृषक मुस्कान की परिभाषा।

मंदिरों में बजती घंटियाँ, संस्कृति की पहचान है,
मंत्र "अतिथि देवो भवः" का, हर घर की शान है।

प्रेम की बहती धारा है, हर इंसान के दिल में यहाँ,
गूँजती बलिदानों की गाथाएं, है आसमानों में जहाँ।

शिक्षा में है प्रगति, तकनीक में होती उन्नति,
विश्व में सर्वोपरि, भारत की है महत्ता।

स्वतंत्रता के वीरों को, करते हैं शत-शत नमन,
जय हो भारत माता की, हर दिल में यही वचन।
© नीली स्याही

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3 AUG AT 17:49

उदास चेहरे पर निखार होती है
दोस्त होते हैं तो पतझड़ में जैसे बहार होती है
दोस्त होते हैं तो रिश्तों से परे अपनेपन की
तलाश में मंद-मंद सुकून की बयार होती है

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19 JUN AT 4:54

यूँ जो मेरा मैं, मुझे तबाह किए बैठा है,
इसे तुम चाहिए, सुकून पाने के लिए...

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30 APR AT 1:13

कुछ ख़्वाब थे चाँद के रथ पे सवार...
हम भी बह चले लेकर अरमाँ हज़ार...

जब लगी एक ठेस फूटा सपनों का गुबार..
उड़े ख़्वाबों के बादल बिना बरसे एक फुहार...

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4 APR AT 0:51

सोती आवाम अभी जगी तो नहीं है

ज़ख्म देकर पूछते हैं अक्सर यहाँ
चोट कहीं ज़्यादा लगी तो नहीं है

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14 MAR AT 12:23

रंगों का त्यौहार है होली, मस्ती और उन्माद,
बरसे गुलाल और अबीर, मन में उठे भूचाल।

कोई खेले रंग तो किसी के सर चढ़े भांग ,
एक दूसरे का संग और रिश्तों में उठे उबाल।

तकनीक या आधुनिकता, है जिसका भी कमाल
ग्रुप फोटो को पीछे छोड़, सेल्फी करे धमाल।

फिर आयी है होली, रंगने सबको हरा लाल,
आओ मिलकर खेले रंग, मन हो मालामाल।

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13 MAR AT 11:30

फिर आयी है होली, देखो बिकने लगे गुलाल,
कौन कैसा है यहाँ, नहीं किसी को मलाल।

रंगों का त्यौहार है, होती मस्ती और उन्माद,
होते रिश्ते फीके देख, मन में उठे सवाल।

दौड़ वो भी एक, जब मिलती थी सौगात,
एक दूसरे का संग और रिश्तों में था उबाल।

तकनीक या आधुनिकता, है जिसका भी कमाल
ग्रुप फोटो को पीछे छोड़, सेल्फी करे धमाल।

फिर आयी है होली, रंगने सबको हरा लाल,
आओ मिलकर खेले रंग, मन हो मालामाल।

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15 FEB AT 2:13

थामा है हाथ तो फिर
उम्र भर निभाऊंगा
ग़मगीन हूँ तो क्या,
तुझे खुशियों से सजाऊँगा

है ज़िंदगी तुझसे शुरू
और तुझपे ही ख़तम
बिखरने लगा तो क्या,
तुझमें ही खो जाऊँगा

वक़्त ज़रा नाज़ुक है,
फ़िसल है संभालता है
मुश्किलें हैं तो क्या,
तेरे संग संग सुलझाऊंगा

ऐ मेरे हमसफ़र,
तेरे प्यार ही त्योहार है
रूठे जो एक बार तो,
सौ बार तुझे मनाऊँगा

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15 FEB AT 1:49

तुझे ही नहीं अब तेरी यादों से प्यार करते हैं,
तू दूर सही तो तेरी तस्वीरों में शुमार रहते हैं।

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26 JAN AT 23:31

तुमसे मिलकर कामिल हो जाऊं शायद,
दिन ढ़लने से महज उम्र दराज़ हो रहे हैं।

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