उमड़ पड़े हैं मेघदूत
अलकापुरी जाने के लिए,
यक्ष की हृदय पीड़ा
यक्षिणी को सुनाने के लिए...
दौड़ पड़ा हैं नल का हंस
दमयंती तक मधुर प्रणय
की गाथा बतलाने के लिए...
उन्मुक्त गगन की ओर देखो
कितना व्याकुल हैं कबूतर
शहज़ादी का प्रेम पत्र
प्रेमी को थामाने के लिए...
मैं साधन हीन हूँ।
कैसे सुनाऊँ मैं तुम्हें अपनी हृदय व्यथा...
पाठक!
क्या तुम पहुंचाओगे मेरा प्रेम संदेश उन तक..?
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25 MAY 2020 AT 10:06
5 JUN 2018 AT 19:59
There's still hope
Sooner, buds will take birth
On this barren land again....
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2 FEB 2022 AT 20:47
नाळ......
या शब्दाशी स्री दोन वेळेस जोडली जाते
एकदा जन्म घेते तेव्हा आणि
एकदा जन्म देते तेव्हा-