कोई नाम पूछ रहा था हमारा
ख़बर कर दो उन्हें के बेनाम है वो-
ਐ ਸ਼ਿਵ....
ਐ ਸ਼ਿਵ,
ਕੋਈ ਅਖੀਰ ਨਾ ਐਥੇ ਪੀੜਾਂ ਦੀ,
ਹਵਾ ਲੰਘ ਬੈਠੀ ਤਕਦੀਰਾਂ ਦੀ,
ਤੇਰੇ ਲਫ਼ਜ਼ਾਂ ਦੀ ਪੀੜ੍ਹ ਏ ਔਖੀ,
ਰੂਹ ਕੰਬ ਉੱਠੀ ਲਕੀਰਾਂ ਦੀ,
ਉਹ ਸੌਣ ਮਹੀਨਾ ਚੜਿਆ ਨਾ,
ਦੁੱਖ ਰਾਹੀਂ ਕਿਤੇ ਵੀ ਖੜਿਆ ਨਾ,
ਲਹਿ ਗਈ ਚਾਦਰ ਹਾਸਿਆਂ ਦੀ,
ਰੁੱਖ ਇਸ਼ਕੇ ਦਾ ਐਥੇ ਚੜਿਆ ਨਾ,
ਕੱਲ ਸੀ ਕਿਸੇ ਨੇ ਪਿੱਛਿਓਂ ਹਾਕ ਮਾਰੀ,
ਜਿਸਮ ਤਬਕ ਉੱਠਿਆ,
ਤੇ ਝਾਤ ਮਾਰੀ,
ਅੱਖਾਂ ਵਿੰਹਦਿਆਂ ਹੀ ਆਖਰੀ ਵੀ ਆਸ ਹਾਰੀ,
ਪੀੜਾਂ ਇਸ਼ਕ ਦੇ ਮੋਹਰੇ ਹੁਣ ਤੇ,
ਹੰਝੂਆਂ ਦੇ ਗਲ ਲਗ ਬੈਠੀ ਇਹ ਰਾਤ ਸਾਰੀ।
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आया हूँ किस काम, बता दूँ
अपनी शायरी का दाम, बता दूँ
किसने दी है ख़ून भरी ग़ज़लें
पूछो तो क्या नाम, बता दूँ
किस ने भेजे पैग़ाम, बता दूँ
सच दुनिया में सरेआम, बता दूँ
आज चुन ली एक राह मैंने
कहाँ ख़त्म होगा मुक़ाम, बता दूँ
सुनो तो बात तमाम, बता दूँ
ख़ुद को शायर ग़ुलाम, बता दूँ
लोग जानते ही होंगे नाम मेरा
या फिर से नाम बेनाम, बता दूँ-
क्या हुआ अभी घर ही गिरा है
उठ देख नींव तो बच गई
हासिल तो कर लेगा मुकाम बेनाम
भले ही दो-चार ईंट नींव से भी उठ गई-
हर मुश्किल से बचाने आए
शायद हवा में आए
खुदा नजर नहीं आए
मैं भी पिरोता खुदा नाम धागे में
किस्मत के मारे को देखो
मेरी माला में वो मंजर ही नहीं आए-
उसने अगर पूछ लिया तो बताएंगे हम
क्या आज वक्त मिल गया जो याद आए हम
सुना है तुम गणित अच्छा जानती हो
चलो अब ये बताओ कितने दिनों बाद याद आए हम
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मैं देखता रहता हूँ तेरी आँखों में
यार अच्छी लगती है ये झील मुझे
अपनी आँखों की एक तस्वीर दो
मिल गई लगी दीवार में कील मुझे
यूँ नोच ना ले जाए तेरी आँखों को
मारने पड़ेंगे आसमाँ के चील मुझे
ये कैसी सज़ा है तुझे ताकने की
क्यूँ बैठा दिया दूर कई मील मुझे
हो काला काजल काली आँखों में
फिर कहाँ अच्छे लगते नील मुझे
दिल है के तेरी आँखें हँसती देखूँ
दिखनी ना चाहिए कभी सील मुझे-
कच्चे धागे कभी मज़बूत नहीं होते
कबूतरों से अच्छे दूत नहीं होते
तूने खुद ख़ौफ़ पैदा कर रखा है बेनाम
ये आत्मा होती है आदमी की भूत नहीं होते-
जब से ओझल हुई है वो आँखों से
मेरी डायरी में उतरने लगी है
किसको पता था बेनाम भी है कोई
आजकल शायरी जिसकी बाजार में उभरने लगी है-