शीश में जिनके चंद्रमा मोहित
माथे पर चंदन अति शोभित,
केश में जिनके माँ गंगा विराजे
गले में जिनके भुजंग साजे
तीन नयन जिनके हैं कमल से
हाथ में लिए वो डमरू बाजे,
बाघ छाल है जिनके वस्त्र
विशाल त्रिशूल है जिनका शस्त्र,
हरा, सफेद इनका प्रिय रंग
धारण करते जनेऊ अंग,
जग के ये भोले भंडारी
क्रोध में करते तांडव भारी,
त्रिलोकनाथ हैं जो कहलाते
श्रीकंठ महादेव हमारे ।
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