*संगीत*
मेरे लिए संगीत सुखों का आवास है,
मधुर से स्वर इसके मानो शहद सा मिठास है
धूप में तपते मुसाफिर को पेड़ की ठंडी छांव है,
खोए हुए राही के लिए एक अपना सा गांव है
आंखो से बहती ज्वाला को
अपनी आवाज से शीतल कर जाए,
दीवानों का तो फिर कहना ही क्या
उनके टूटे दिल पर मरहम सा लगाए
जब किसी भी बात से दिल परेशान हो जाता,
संगीत ही तो सुकून कि नींद है लाता
खास दोस्त की तरह हमेशा साथ रहता है,
बिन कुछ कहे भी सबकुछ कहता है
मां की लोरी सी है संगीत,
मीठी सी आवाज संग में सुरों की प्रीत
जब कोई अपना ये गाकर सुनाता है,
दर्द सारा यूंही संवर जाता है
और चेहरे पे जो हल्की सी मुस्कान आती है,
मानो ज़िन्दगी भी कुछ नया गीत गुनगुनाती है ।
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