बाप की तरह ख्याल रखना,
सारी जरूरतें पूरी करना,
हर बार फ़ोन करके घर बुलाना,
छोटी छोटी खुशी में शामिल करना,
बेटी मानते थे मुझे मौसा
याद है मुझे वो दिन जब मैं लखनऊ आई थी,मुझे रूम ढूंढ़वाने के लिए आप मेरे साथ सुबह से शाम तक रहे बावजूद आपने अपने चोट की बिल्कुल भी फ़िक्र नही की,अंत मे जब मुझे अच्छा रूम नही मिला तो आपने बोला "तुम चलो मेरे साथ घर रहो वो भी तुम्हारा घर है, जब मर्ज़ी तब तक रहो"...
Miss u Mausa-
7 MAY 2021 AT 20:26