बहुत समझाया था खुद को हर बार की तरह,
मगर कोई तो बात थी इस बार के टूटने में...-
...कमाल है..
..तेरा यूँ मिल जाना...ख़्वाबों में...
ख़्वाबों में आना..
मुझे तकते रहना...
ख़यालों की बारिश..
और सुबह होते ही मेरी शाम बन जाना..
**कमाल ही है**...
मेरी जुल्फों को संवारना...
हाथों को थामना...
धड़कनों का मिल जाना..
वक़्त का थम जाना..
और फ़िर... आँख खुलते ही..मेरा टूट जाना..
**कमाल ही है**...
तुम्हें उस चाँद में पा जाना
चाँदनी की चमक में मेरा संवर जाना
कमल की चाहत...श्वेत रंग में ढल जाना...
**कमाल ही है**...
तुम्हारा महसूस होना..
मेरा कुछ पल ठहर जाना..
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...ज़िन्दगी के कारनामे थमते कहाँ हैं..
हम सुकूँ में आज-कल रहते कहाँ हैं....
💔💔💔
....खुद से ही जला लिए हैं हाथ अपने,,
हम किसी और को देख जलते कहाँ हैं...
💔💔💔
...उम्मीदें तो कब की छोड़ दी मैंने सबसे,
हम किसी और की उम्मीद होते कहाँ हैं...
💔💔💔
....कागजों पर लिखते जज़्बात कई दफ़ा,,
हम कुछ और अभी लिखते कहाँ हैं...
💔💔💔
....अभी शिकायतें बहुत हैं अपने आप से ही,,
हम किसी और पर अपना हक़ जताते कहाँ हैं
💔💔💔
...ज़ख्म रोज दे रहे खुद को नया,
अभी मलहम किसी और को देते कहाँ हैं...
💔💔💔
टूटते बिखरते चुभ रहे खुद को ही *तल्ख़*,
अभी किसी और को हम गुल देते कहाँ हैं..!!-
सुनो,,तुम्हें लिखती रहूँगी
सबसे छिपा के;;
तुम जज़्बात बन..
मेरी ख़ामोशी से बयाँ होते रहना...
💕💕💕💕💕💕💕
चाहूंगी हर वक़्त बस
तुम्हारे संग रहना;;
तुम अलफ़ाज़ बन,,
कलम से मेरी बयाँ होते रहना...
💕💕💕💕💕💕💕
मुंह मोड़ लेना बेशक़
मेरे बुरे वक़्त में तुम,,
मग़र चाँदनी रातों में
संग मेरे मुस्कुराते रहना...
💕💕💕💕💕💕💕
ख़याल हूँगी,,महज़
इक ख़याल तेरे लिए,,
मग़र ,,तुम मुझे अफसना से
खुद में संजोते रहना...
💕💕💕💕💕💕💕
अभी,,ग़ुल का ज़िक्र ठीक नहीं यहाँ,,,
तुम **तल्ख़** का नर्म अंदाज़ बन;;
सहजता वाला एहसास देते रहना..!!-
बहुत अच्छा ख्याल है उसमें खो जाने का,,,,
मगर अफ़सोस;;;;
ये बस एक ख़याल है ।!!!!-
Jo kl tk meri wjh se muskurate the,,,
Aj unhein hmse shikaayatein bewajh ho gyii....-
Bheja to tune Kisi wjh se hi tha
Mere khuda,,
Ye alg baat h ki hm rasta bhatak gye...-
Kaali rat hi to h
gujr jayegi,,
Aj ki hi to bt h
Kl smbhl jayegi,,
Jinda rkhna h khud ko ye yad rkhna bs
Ye v Zindagi h mere dost,,,kl maut se jrur milwaayegii......
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Kuch kaayde hmare v hai hmari Zindagi me,,,
Khud k wajood me kharoch tk brdaasht ni hme.....-
हद से बढ़ जाए तालुक तो गम मिलते है....
हम इसीलिए हर शख्स से कम मिलते है...-