अरे मियां होगी दिल्ली दिल वालों की,
हमारे 'लखनऊ' में इश्क़ की तालीम दी जाती है।-
इस दिन का समा कुछ इस कदर सुहाना था।
अवध -ए- बारिश से हमको को जो भीग जाना था।।
-💞PrAcHi💞
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अपनी आंख को अश्कों का इक दरिया बनाना है मुझे
ख्वाबों को तुझ तक पहुँचने का जरिया बनाना है मुझे-
सर्द मौसम है लखनऊ की खुशनुमा शाम है
गुलों को छेड़ने का हम पे झूठा इल्जाम है-
इम्तिहान में भी शायरियाँ लिक्खी जा रही है
तुम कितने शाद हो तुम्हारी शक्ल बता रही है
उससे मिलना तो मिरा जिक्र मत करना दोस्त
वो तुमसे कहेगा झगड़े में हमारी खता रही है-
अजीब बात है, हर शख्स मुझसे नाखुश हुआ जाता है
मिरे ख्याल से धोखे के बदले धोखा ही दिया जाता है-
माना यहाँ कई नज़रो में खटक रहा हूँ मैं
फिर भी तारे के मानिन्द चमक रहा हूँ मैं-
किसी को इस दिल से निकालने में डर रहा था
काँच का दिल था, सो सम्भालने में डर रहा था
मुझको अपनी जिंदगी से ज़ियादा प्यार था
इसलिए शराब का शौक पालने में डर रहा था
बच्चों को गोद में खिलाने का बहोत शौक था
गिर न जाएँ, इस लिए उछालने में डर रहा था-
इस नई रात में इक नया ख्वाब देख रहें हैं हम
दरिया में चमकता हुआ महताब देख रहें हैं हम-
वो ऐसे अच्छे लोग थे, जो दिल से निकाले न गये
हमें गरीबी का वास्ता था सो सिक्के उछाले न गये
बहोत से अमीरों के साथ बैठा था मैं मेहफिल में
उनसे दोस्ती की मैंने मगर उनके शौक पाले न गये-