मुलाकातों–बातों की वो डायरियां अधूरी रह गई
उससे जब दूर हुआ, कई शायरियां अधूरी रह गई-
फ़र्क नहीं पड़ता उसे मेरे रोने से...
मेरे होने या फिर नहीं भी होने से...-
मेरे सीने में जो लगी हुई आग है उसपे पानी–बर्फ़ नहीं पड़ता
मुझे इससे बहुत फ़र्क पड़ता है कि तुम्हें कोई फ़र्क नहीं पड़ता — % &-
हमने लाख आवाज़ दी मगर वो कभी सुन ना सके और वक़्त के साथ और भी बहरे होते गए
सुना है वक़्त के साथ जख्म भर जाते हैं मगर मेरे जख्म वक़्त के साथ और भी गहरे होते गए-
मेरे सीने में कई गजलों की लाशें दफ़न हैं जो ना मैं कभी लिख पाया और ना ही किसी को सुना पाया
बस नाम का शायर हूं मैं जो अपने लफ़्ज़ों से ना किसी को हसा पाया और ना ही किसी को रुला पाया-
I can't say to anyone about you
But I can't write anything without you-
बात बस आम सी है कुछ भी अजीब नहीं है
जैसा तुम्हारे पास है वैसा मेरा नसीब नहीं है-
रातों में तो तुम तब भी मेरे पास नहीं होते थे मगर हर रोज़ की तुम्हारी मुलाकातों का मंज़र मेरे साथ होता था...
अब ना तुम्हारी मुलाकातों का मंज़र है मेरे पास और ना कोई उम्मीद जो मैं हर रोज़ सरहाने रख के सोता था...-