कभी ख़ुद में ढूंढ लेते हैं सारी खुशियां,
कभी ख़ुद से पराया हो जाते हैं हम...
और जिस दिन उनका दीदार नहीं होता,
सच कहते हैं ,ज़ाया हो जाते हैं हम...
सर्दियों में कड़क धूप,
तो गर्मियों में छाया हो जाते हैं हम...
और जिस दिन उनकी ख़िदमत में नहीं होते,
सच कहते हैं ,ज़ाया हो जाते हैं हम...
कभी सज जाते हैं उनके होंठों पर मुस्कान बनकर,
तो कभी मुरझाया हो जाते हैं हम ...
और जिस दिन उनका ख़याल नहीं आता,
सच कहते हैं ,ज़ाया हो जाते हैं हम...
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