हे राम मेरे,
मंदिर मस्जिद गुरुद्वारे की भगवन तुमको दरकार नहीं,
पर यूँ ही धूप में पड़े रहो ये किंचित हमको स्वीकार नहीं।
युग बदलें सरकारें बदलें और राजतन्त्र चलता ही रहे पर,
श्रीराम को अगर न न्याय मिले तो इससे बड़ा धिक्कार नही।
हे राम मेरे..
त्रेता से लंबा वनवास कलियुग में क्यों है
आपके भक्तों से दुनिया को द्वेष ये क्यों है?
श्रीराम की धरती पे श्रीराम का नारा मत दो,
सोने की चिड़िया पे ऐसा अंधियारा क्यों है?
हे राम मेरे..
ये लोग राजनीति और राजतंत्र का धंधा करते जाएंगे,
धर्म जाती के नाम पे तुम लोगो को भरते जाएंगे।
हम भी रामलला के सेवक हैं देखना दुनियावालो,
गोधरा से अयोध्या तक जलते जाएंगे।
जलाओ हम जलते जाएंगे।
पर मंदिर वहीं बनाएंगे।
पर मंदिर वहीं बनाएंगे।
जय श्री राम
जय श्री राम
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