रिश्ते निभाना तो कोई
दो पैरों से सीख़े।
जब एक आगे बढ़े,
तो पिछला सहारा बने।
जो आगे हो, उसे आगे
होने का गूरूर नहीं,
जो पीछे हो, उसे पीछे
होने का ग़म नहीं।
आख़िर जानते हैं दोनों,
वक्त बदलेगा,
और बदलेगी जगह
जब आगेवाला पीछे,
और पीछेवाला आगे होगा।
सामने कभी मसला जब
हौसला-पस्त करने खड़ा होगा।
तब वे दोनों साथ खड़े होंगे,
चट्टान की तरह, एक साथ,
एक-दूसरे को सम्भालते,
आगे बढ़ते, हम-सफर की तरह॥
~ रोहन
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